CM रावत ने एम्स में की टेलीमेडिसिन सेवा शुरू, कहा- उत्तराखंड में ब्लॉक स्तर पर बनाए जाएंगे कोविड कंट्रोल रूम

उत्तराखंड के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण को देखते हुए एम्स ऋषिकेश की टीम गरुड़ ने टेली मेडिसन प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिसका शुभारंभ सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया। एम्स ऋषिकेश में संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 02:25 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 11:00 PM (IST)
CM रावत ने एम्स में की टेलीमेडिसिन सेवा शुरू, कहा- उत्तराखंड में ब्लॉक स्तर पर बनाए जाएंगे कोविड कंट्रोल रूम
एम्स ऋषिकेश में टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट का मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया उद्घाटन।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गरुड़ टेलीमेडिसिन सेवा का शुभारंभ किया। इस सेवा के जरिए राज्य के सभी 110 तहसील में 898 चिकित्सक और मेडिकल छात्र मेडिकल संबंधित जानकारी और परामर्श देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है। इसलिए अधिकारियों को ब्लॉक स्तर पर कंट्रोल रूम बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को यूथ ऑफ मेडिकोज संगठन की ओर से संचालित गरुड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट का विधिवत शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड संक्रमितों की संख्या बढ़ गई है। इस लिहाज से यह प्रोजेक्ट कोविड संक्रमितों को चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने में विशेष लाभकारी साबित होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कोविड आंकड़ों को पारदर्शी तरीके से सबके सामने रख रही है। टेस्टिंग नेशनल एवरेज से अधिक है। इससे साफ है कि उत्तराखंड में अधिक टेस्टिंग हो रही है।

कोविड के संक्रमण को कम करने और समय पर उपचार के लिए उत्तराखंड में अन्य राज्यों की तुलना में डेढ़ गुना अधिक टेस्टिंग की जा रही है। कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक ऑक्सीजन प्लांट लगाने की योजना है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कोविड केयर मैनेजमेंट के लिए संस्थान में एक 40 हजार लीटर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कोविड आईसीयू के 250 बेड हैं। इनकी संख्या बढ़ाने के लिए आवश्यक संसाधनों के अलावा पर्याप्त संख्या में चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्टाफ की आवश्यकता है। 

इससे पूर्व गरुड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट के प्रबंधक और यूथ मेडिकोज संगठन के संस्थापक डॉ. विनोद कुमार ने मुख्यमंत्री को गरुड़ प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रशिक्षण के बाद मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ राज्य की प्रत्येक तहसील तक कोविड केयर प्रोवाइडर उपलब्ध कराएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए राज्य के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के लगभग 1621 आवेदन आए थे, जिनमें से लगभग 898 लोगों का चयन किया गया है।

कार्यक्रम में दौरान विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, ऋषिकेश महापौर अनीता ममगाईं, विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश, कुसुम कंडवाल, डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. बीके बस्तिया, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी धर, डॉ. नवनीत मैगन, ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल, संस्थान के प्रोजेक्ट के राज्य समन्वयक डॉ. राहुल आदि मौजूद थे।

क्या है गरुड़ टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट

इस प्रोजेक्ट का संचालन यूथ ऑफ मेडिकोज संगठन से जुड़े चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड में लोगों को कोविड उपचार में काफी मदद मिलेगी। प्रोजेक्ट से जुड़े युवा डॉक्टरों की टीम तहसील और ब्लॉक स्तर पर निश्शुल्क टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध कराएगी। जल्द ही इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी होने के बाद राज्य के पहाड़ी इलाकों के रोगी भी घर बैठे इस टेलीमेडिसिन सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

यूथ ऑफ मेडिकोज के संस्थापक और इस प्रोजेक्ट के प्रबंधक डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि फोन करने वाले मरीजों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या की स्थिति के अनुसार इस सुविधा द्वारा वरिष्ठ चिकित्सकों के परामर्श पर फोन करने वाले मरीज को उपचार दिया जाएगा और कोविड संक्रमित सामान्य लक्षण वाले रोगियों को अस्पताल आने की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रोजेक्ट में आइआइटी रुड़की के इंजीनियरों का तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

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