समय से पहले चुनाव से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का इन्कार

उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव को अब एक साल से भी कम वक्त बचा है। राज्य की चौथी विधानसभा का गठन 21 मार्च 2017 को हुआ था यानी अगले साल इस तिथि से पहले पांचवीं विधानसभा अस्तित्व में आ जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 06:30 AM (IST)
समय से पहले चुनाव से मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का इन्कार
मंगलवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने समय से पहले विधानसभा चुनाव की संभावना से इन्कार कर दिया।

विकास धूलिया, देहरादून। उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनाव को अब एक साल से भी कम वक्त बचा है। राज्य की चौथी विधानसभा का गठन 21 मार्च 2017 को हुआ था, यानी अगले साल इस तिथि से पहले पांचवीं विधानसभा अस्तित्व में आ जाएगी। इसका तात्पर्य यह हुआ कि उत्तराखंड में आगामी जनवरी या फरवरी में विधानसभा चुनाव होंगे। इस सबके बीच इन दिनों सियासी गलियारों में यह चर्चा भी चल रही है कि क्या राज्य की भाजपा सरकार समय से पहले विधानसभा चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है। हालांकि अब स्वयं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस तरह की संभावना को दरकिनार कर दिया है।

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एतिहासिक प्रदर्शन करते हुए तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता पाई थी। 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 57 सीटों पर जीत हासिल हुई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा का चुनाव रथ अविजित आगे बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सभी पांचों सीटों पर परचम फहराया। फिर राज्य में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से लेकर स्थानीय निकाय और सहकारिता चुनाव में भी भाजपा प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ी। इसके अलावा वर्तमान चौथी विधानसभा में दो सीटों के उपचुनाव में भी भाजपा को ही जीत मिली।

इन दिनों सूबे में व्यापक वजूद रखने वाली भाजपा और कांग्रेस अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट के उप चुनाव में जोर आजमाइश में जुटी हैं। यह इस विधानसभा का तीसरा उप चुनाव है। इस बीच हाल ही में उत्तराखंड सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हुआ। भाजपा आलाकमान ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर तीरथ सिंह रावत की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कर दी। तीरथ वर्तमान में पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने इसी 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। संवैधानिक प्रविधानों के मुताबिक उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होगा।

इसका मतलब यह हुआ कि 10 सितंबर से पहले तीरथ सिंह रावत के लिए किसी विधायक द्वारा खाली की गई सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा। अब तीरथ विधायक बनेंगे तो उन्हें अपनी पौड़ी लोकसभा सीट छोड़नी होगी और इस पर भी उपचुनाव होगा। यानी, अगले कुछ महीनों के दौरान उत्तराखंड में लोकसभा व विधानसभा की एक-एक सीट के लिए उपचुनाव होना तय है। इन दो उप चुनाव के कारण इस तरह की चर्चा चल रही है कि क्या सरकार विधानसभा चुनाव समय से पहले कराने की सिफारिश कर सकती है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तराखंड में जितनी मजबूत स्थिति में भाजपा है, उसके लिए ये दोनों उपचुनाव ज्यादा मुश्किल साबित नहीं होंगे।

मंगलवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने समय से पहले विधानसभा चुनाव की संभावना से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि जल्द चुनाव कराने का कोई कारण नहीं है। अभी पार्टी सल्ट उपचुनाव में जुटी है और उनके उपचुनाव के लिए काफी वक्त है। सरकार पूरे पांच साल प्रदेश के विकास का काम करेगी।

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