मुख्य अभियंता ने शासन को सौंपी बडासी पुल की जांच रिपोर्ट, गुणवत्ता पर उठाए गए हैं सवाल

बडासी पुल की एप्रोच रोड का एक हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त होने की प्रारंभिक जांच पूरी कर दी गई है। इसके साथ ही राजमार्ग इकाई के मुख्य अभियंता एसके बिड़ला ने रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 02:02 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 02:02 PM (IST)
मुख्य अभियंता ने शासन को सौंपी बडासी पुल की जांच रिपोर्ट, गुणवत्ता पर उठाए गए हैं सवाल
मुख्य अभियंता ने शासन को सौंपी बडासी पुल की जांच रिपोर्ट।

जागरण संवाददाता, देहरादून। बडासी पुल की एप्रोच रोड का एक हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त होने की प्रारंभिक जांच पूरी कर दी गई है। इसके साथ ही राजमार्ग इकाई के मुख्य अभियंता एसके बिड़ला ने रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं।

राजमार्ग इकाई की ओर से जांच रिपोर्ट पर किसी भी तरह की टिप्पणी से इन्कार किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई शासन की ओर से की जाएगी। हालांकि, सूत्रों की मानें तो पुल के डिजाइन में किसी तरह की खामी नहीं पाई गई है। इतना जरूर है कि निर्माण के दौरान एप्रोच रोड के निर्माण मानकों का उचित पालन नहीं किया गया। इसी के चलते तीन साल से भी कम समय में एप्रोच रोड ध्वस्त हो गई।

वहीं, लोनिवि के मुख्य अभियंता व विभागाध्यक्ष हरिओम शर्मा का कहना है कि जल्द एप्रोच रोड के निर्माण की कार्रवाई भी शुरू कर दी जाएगी। एप्रोच का करीब 20 मीटर भाग ध्वस्त हुआ है। लिहाजा, धरातलीय सर्वे के बाद तय किया जाएगा कि इससे ध्वस्त भाग के अलावा इससे आगे कितने हिस्सा का निर्माण नए सिरे से किया जाना है। इतना जरूर है कि पुराने डिजाइन पर निर्माण नहीं किया जाएगा। एप्रोच रोड के लिए नया डिजाइन तैयार होगा और फिर उसी आधार पर निर्माण किया जाएगा।

मांग पर कार्रवाई न होने से राज्य आंदोलनकारी नाराज

मांग पूरी न होने से नाराज चल रहे राज्य आंदोलनकारी रविवार को बैठक के बाद आगे की रणनीति बनाएंगे। साथ ही कोरोनाकाल में दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ करेंगे। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि सरकार अपने 100 दिन पूरे होने पर विकास पुस्तिका का विमोचन कर रही है, लेकिन राज्य बनने के बाद से लगातार राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से पूर्व में हुई वार्ता के दौरान उन्होंने भर्ती में 10 फीसद राज्य आंदोलनकारियोंं के स्वजन को शामिल करने का आश्वसन दिया था, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई। इससे राज्य आंदोलनकारियों में रोष है।

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