दलालों पर रोक को आरटीओ में गेट पर बन रही चौकी Dehradun News
दफ्तर में दलालों व अनाधिकृत लोगों की एंट्री रोकने के लिए आरटीओ दफ्तर में इस हफ्ते चौकी खुल जाएगी। आरटीओ के मुख्य गेट पर चौकी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।
देहरादून, जेएनएन। दफ्तर में दलालों व अनाधिकृत लोगों की एंट्री रोकने के लिए आरटीओ दफ्तर में इस हफ्ते चौकी खुल जाएगी। आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई के आदेश पर आरटीओ के मुख्य गेट पर चौकी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक अब आरटीओ परिसर में सिर्फ वही व्यक्ति प्रवेश कर सकेगा, जिसका वहां काम होगा। वहीं, एआरटीओ प्रशासन द्वारा साइबर कैफों की मनमानी रोकने को दफ्तर में कॉमन सर्विस सेंटर खोलने की मांग की गई है।
विजिलेंस की कार्रवाई और विभाग की छवि खराब होने के बाद आरटीओ अफसर दफ्तर में अनाधिकृत लोगों का प्रवेश रोकने की कसरत कर रहे हैं। इसके लिए पिछले दिनों पुलिस की मांग भी की गई थी। कहा गया था कि अगर सुबह से शाम तक दफ्तर में पुलिस रहे तो जीरो टॉलरेंस की व्यवस्था पूरी तरह लागू हो सकती है। एआरटीओ ने इस बारे में एसपी सिटी को पत्र भी भेजा है और मांग की गई है कि आरटीओ दफ्तर में व बाहर अनाधिकृत घूमने वाले लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाए।
बता दें कि आरटीओ में विजिलेंस की कार्रवाई के बाद दफ्तर में दलालों के बेरोकटोक प्रवेश करने व सरकारी कुर्सियों पर बैठकर काम करने का खुलासा हो चुका है। इसमें विजिलेंस ने मुख्य सहायक की कुर्सी पर बैठ काम करने वाले दलाल को रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोचा था। मुख्य सहायक समेत एक अन्य दलाल भी गिरफ्तार किया गया था।
ऐसे में दफ्तर को दलालों के चंगुल और भ्रष्टाचार से मुक्त कर ‘साफ-सुथरा’ बनाने के लिए अफसर कसरत कर रहे हैं। दलालों का प्रवेश पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है और इसके बाद पुलिस चौकी खोलने की कसरत चल रही थी। लोगों को काम कराने खुद आने को कहा जा रहा। व्यक्तिगत मौजूदगी बिना न टैक्स जमा किया जा रहा, न फिटनेस, न ही परमिट बनाए जा रहे। शर्तो के बाद सभी लोगों को लौटाया गया, जो किसी और का काम कराने आए थे।
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बंद होगी साइबर कैफे की लूट
साइबर कैफों की ‘लूट’ रोकने को दफ्तर में महज तीस रुपये शुल्क देकर सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के जरिए आवेदकों को सुविधा मिलेगी। मौजूदा समय में किसी भी काम के लिए सायबर कैफे से आवेदन करना पड़ता है। आरटीओ दफ्तर के बाहर कुकुरमुत्तों की तरह सायबर कैफे खुले हुए हैं और यहां मनमानी रकम लेकर आवेदकों को लूटा जा रहा है। कैफे संचालक किसी भी काम के लिए दो सौ से तीन सौ रुपये शुल्क वसूल रहे हैं।
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