Chardham Yatra 2021: उत्साह के बीच सतर्कता भी जरूरी, समय कम और ज्यादा हैं चुनौतियां

चारधाम यात्रा के लिए समय कम चुनौतियां कई ज्यादा हैं। उत्तराखंड में कोराना के मामले अब कम आ रहे हैं लेकिन ध्यान देने वाली बात यह कि लंबे समय बाद शुरू हो रही चारधाम यात्रा के उत्साह के बीच सर्तकता भी कम न हो।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 07:08 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 07:08 PM (IST)
Chardham Yatra 2021: उत्साह के बीच सतर्कता भी जरूरी, समय कम और ज्यादा हैं चुनौतियां
उत्साह के बीच सतर्कता भी जरूरी, समय कम और ज्यादा हैं चुनौतियां।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Chardham Yatra 2021 चारधाम यात्रा के लिए समय कम, चुनौतियां कई ज्यादा हैं। उत्तराखंड में कोराना के मामले अब कम आ रहे हैं, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह कि लंबे समय बाद शुरू हो रही चारधाम यात्रा के उत्साह के बीच सर्तकता भी कम न हो।

जनस्वास्थ्य व पर्यावरण जैसे मुद्दों पर काम करने वाली संस्था सोशल डेवलमेंट फार कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन के संस्थापक व स्वास्थ्य मामलों के जानकार अनूप नौटियाल कहते हैं सभी को याद रखना होगा कि कोरोना के नए मामले आने अभी बंद नहीं हुए हैं। पिछले 45 दिन में राज्य में हर दिन नए मामलों की संख्या 20 से 50 के बीच रही है। नए मामलों की निरंतरता बताती है कि खतरा अभी टला नहीं है। लिहाजा चारधाम यात्रा के दौरान अधिक सतर्कता बरते जाने की जरूरत है।

प्रदेश में कम संख्या में हो रही जांच को लेकर भी उन्होंने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कर ही कोरोना की सही जानकारी सामने आ सकती है। सरकार ने कुछ माह पहले रोजाना 40 हजार जांच करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन पिछले 45 दिनों में हर रोज 16 से 20 हजार जांच हो पा रहे हैं। यानी कि पूर्व में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में पचास फीसद कम जांच वर्तमान में हो रही है।

तीन बड़ी चुनौतियां, टीकाकरण से उम्मीद

नौटियाल ने चारधाम यात्रा के दौरान तीन बड़ी चुनौतियां गिनाई हैं। उनका कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती  कोविड प्रोटोकाल के पालन को लेकर है। हाल के दिनों यह देखा गया है कि लोग कोविड नियमों को पालन नहीं कर रहे हैं। मास्क का प्रयोग व शारीरिक दूरी आमतौर पर नजर नहीं आ रही है या बहुत कम लोग इसका पालन कर रहे हैैं। दूसरी बड़ी चुनौती हर अंतराल बाद हो रही राजनीतिक रैलियां भी हैं। नौटियाल का कहना है कि जैसे-जैसे  विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, खुद राजनीतिक दलों के लोग एक-दूसरे से मिलजुल रहे हैं और सभाएं भी हो रही हैं।

यानी जो कोविड नियमों का पालन करने के लिए जिम्मेदार हैं वे ही खुद इन नियमों को तोड़ रहे हैं। तीसरी चुनौती यह कि आने वाले दिनों में त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। इस दौरान बाजारों, धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर उमडऩे वाली भीड़ कोरोना संक्रमण के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकती है। इन तीन चुनौतियों के बीच एक बात संतोषजनक है कि राज्य में टीकाकरण की रफ्तार तेज है।

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राज्य में अब तक 96 लाख से अधिक व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीका लग चुका है। इनमें से 25 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है। अब जरूरी है कि चारधाम यात्रा के दौरान जांच बढ़ाने के साथ ही टीकाकरण की निरंतरता भी बनाए रखी जाए। कोरोनाकाल में सहयोग व सतर्कता से ही यात्रा का सफल संचालन संभव हो सकेगा।

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