भारतमाला परियोजना के साथ ही सीमांत क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण कार्य गति पकड़े हुए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संजीदगी दिखाते हुए 15 सितंबर से प्रदेश में सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान चलाने को कहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद बरसात खत्म होते ही प्रदेश में बदहाल सड़कों की सूरत बदलेगी। इससे राज्य का आर्थिक विकास होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 17 Aug 2021 06:14 PM (IST) Updated:Tue, 17 Aug 2021 06:14 PM (IST)
भारतमाला परियोजना के साथ ही सीमांत क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण कार्य गति पकड़े हुए
संपर्क मार्गो की गांवों तक पहुंच और सड़कों की गुणवत्ता हर चुनाव में मुद्दा बनती रही हैं।

स्टेट ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में चार धाम आलवेदर रोड, भारतमाला परियोजना के साथ ही सीमांत क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण का कार्य गति पकड़े हुए है। इन महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं के साथ राज्य को आंतरिक सड़कों के लिए भी केंद्र से बड़ी मदद मिल रही है। बीते चार वर्षो में राज्य में सड़कों के लिए 1142 करोड़ की राशि केंद्र ने मंजूर की है। राज्य के बड़े पर्वतीय भू-भाग में सड़क कनेक्टिविटी का विस्तार बड़ी चुनौती है। इसमें आने वाली ज्यादा लागत खराब माली हालत से जूझ रही सरकार के लिए परेशानी का सबब रही है। यही वजह है कि अवस्थापना विकास की तमाम योजनाओं के लिए केंद्र की ओर देखना राज्य की मजबूरी बन चुका है।

उल्लेखनीय है कि सड़कें राज्य की लाइफलाइन हैं। जितनी तेजी से सड़क नेटवर्क का विस्तार होगा, दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों का विकास उतनी ही तेजी से हो सकेगा। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने, गांवों के उत्पादों की पहुंच बाजार तक बनाने में सड़कों की अहम भूमिका है। जितनी अधिक सड़कें होंगी, लोगों की पहुंच अधिक से अधिक इलाकों तक होगी। इससे राज्य का आर्थिक रूप से विकास होगा।

राज्य के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों के बीच गहरी होती आर्थिक विषमता की खाई की वजह विषम भौगोलिक क्षेत्रों में मोटर मार्गो का अभाव ही है। बड़े, मध्यम और लघु उद्योगों से लेकर कुटीर उद्योग-धंधों के पहाड़ों पर नहीं चढ़ने के पीछे बड़ा कारण सड़कों का अभाव ही है। सड़कों की बड़ी परियोजनाओं के साथ ही संपर्क मार्गो के आंतरिक नेटवर्क को मजबूत करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय सड़क अवस्थापना निधि के तहत मिले सहयोग से इस कार्ययोजना को परिणति तक पहुंचाया जाना चाहिए। 15वें वित्त आयोग ने भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में राज्य को ज्यादा धन देने की संस्तुति केंद्र से की है। इस योजना के तहत अभी 250 की आबादी वाले गांवों को मोटर मार्गो से जोड़ा जा रहा है। केंद्र सरकार ने भविष्य में 100 की आबादी वाले गांवों को भी इस योजना के दायरे में लेने के संकेत दिए हैं। ऐसा हुआ तो पर्वतीय सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोका जा सकेगा। ये चुनावी साल है। संपर्क मार्गो की गांवों तक पहुंच और सड़कों की गुणवत्ता हर चुनाव में मुद्दा बनती रही हैं।

अच्छी बात ये है कि सड़क कनेक्टिविटी बढ़ाना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संजीदगी दिखाते हुए 15 सितंबर से प्रदेश में सड़कों को गड्ढामुक्त करने का अभियान चलाने को कहा है। कोरोना की वजह से प्रदेश में निर्माण कार्यो के बजट का तेजी से उपयोग नहीं हो पा रहा है। सरकार को इसमें तेजी लानी होगी।

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