उत्‍तराखंड : 14 हजार किमी लंबी फायर लाइनों को साफ रखने की चुनौती

उत्तराखंड में जंगल इस बार सर्दियों से ही लगातार धधक रहे हैं। इस सबको देखते हुए अब वन महकमे ने आग पर नियंत्रण के मद्देनजर जंगलों में बनी करीब 14 हजार किलोमीटर लंबी फायर लाइनों की सफाई पर फोकस किया है लेकिन यह इतना आसान काम भी नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 04:21 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 04:21 PM (IST)
उत्‍तराखंड : 14 हजार किमी लंबी फायर लाइनों को साफ रखने की चुनौती
उत्तराखंड में जंगलों की आग के लिहाज से सबसे संवेदनशील वक्त शुरू होने को है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में जंगलों की आग के लिहाज से सबसे संवेदनशील वक्त शुरू होने को है। ऐसे में चिंता के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। वजह ये कि जंगल इस बार सर्दियों से ही लगातार धधक रहे हैं। इस सबको देखते हुए अब वन महकमे ने आग पर नियंत्रण के मद्देनजर जंगलों में बनी करीब 14 हजार किलोमीटर लंबी फायर लाइनों की सफाई पर फोकस किया है, लेकिन यह इतना आसान काम भी नहीं है। राज्य के नोडल अधिकारी (वनाग्नि) मानसिंह के मुताबिक वर्तमान में निचले स्तर से इसकी शुरुआत की जा रही है। अगले चरण में चीड़ वनों और फिर इससे ऊपर के वन क्षेत्रों में यह पहल की जाएगी।

पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो उत्तराखंड में हर साल औसतन दो हजार हेक्टेयर जंगल आग से झुलसता है। जाहिर है कि इससे वन संपदा के साथ ही पारिस्थितिकीय तंत्र को भारी नुकसान पहुंच रहा है। राज्य में अमूमन तापमान बढऩे पर 15 फरवरी से मानसून के आने तक जंगल अधिक सुलगते हैं। इस मर्तबा तो सर्दियों से ही जंगल धधक रहे हैं। अक्टूबर से अब तक साढ़े तीन सौ हेक्टेयर जंगल झुलस चुका है। ऐसे में आने वाले दिनों में पारे के उछाल भरने पर खतरा ज्यादा हो सकता है।

इस सबको देखते हुए वन महकमे ने फायर लाइनों पर फोकस किया है, जो जंगल की आग पर नियंत्रण में मददगार साबित होती हैं। दरअसल, फायर लाइनें जंगलों में बनाए गए चौड़े रास्ते हैं, जिनकी कुल लंबाई 13917.1 किलोमीटर है। इन पर जमा होने वाले पत्तियों के ढेर आदि का नियंत्रित फुकान कर फायर लाइनों को साफ रखा जाता है। इससे आग एक से दूसरे हिस्से में नहीं जा पाती। हालांकि, यह भी सही है कि मैदानी और फुटहिल में फायर लाइनों को साफ रखना आसान है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र में विषम भूगोल के मद्देनजर इसकी राह में चुनौतियां कम नहीं हैं।

राज्य के नोडल अधिकारी (वनाग्नि) मान सिंह के अनुसार फायर लाइनों को साफ करने की मुहिम शुरू कर दी गई है। पहले चरण में मैदानी और फुटहिल्स में इनकी सफाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि फरवरी मध्य से चीड़ वनों से ऊपर के क्षेत्रों में फायर लाइनों की सफाई का क्रम तेज किया जाएगा। वजह ये कि चीड़ की पत्तियां मार्च से ही गिरना शुरू होती हैं, जो आग के फैलाव का बड़ा कारण बनती हैं।

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