कोरोना संकट में उत्‍तराखंड सरकार ने 15वें वित्त आयोग से फिर लगाई गुहार

कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को लगे झटके से उबरने के लिए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर 15वें वित्त आयोग के दर पर दस्तक दी है।

By Edited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 08:47 PM (IST)
कोरोना संकट में उत्‍तराखंड सरकार ने 15वें वित्त आयोग से फिर लगाई गुहार
कोरोना संकट में उत्‍तराखंड सरकार ने 15वें वित्त आयोग से फिर लगाई गुहार

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को लगे झटके से उबरने के लिए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर 15वें वित्त आयोग के दर पर दस्तक दी है। आमदनी के सीमित संसाधनों में कोरोना संक्रमण की वजह से आई गिरावट का सबसे बुरा असर ढांचागत विकास पर पड़ा है। राज्य ने संशोधित प्रतिवेदन भेजकर आयोग से गुजारिश की है कि राजस्व घाटा अनुदान के साथ ही केंद्रपोषित योजनाओं के रूप में केंद्र से मिलने वाले अनुदान को बढ़ाया जाए। आयोग की सिफारिश पर वर्ष 2020-21 के लिए राज्य को करीब 5076 करोड़ राजस्व घाटा अनुदान मंजूर हुआ है। आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही 2025 तक राज्य को केंद्रीय मदद मिलेगी। 

कोरोना की मार से पूरे देश की अर्थव्यवस्था ही निम्न विकास दर का शिकार होकर रह गई है। उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए यह दौर बड़ी मुसीबत लेकर आया है। कर और करेत्तर तमाम स्रोतों से होने वाली राजस्व आमदनी सदमे में है। चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल, मई और जून राज्य सरकार ने फूंक-फूंककर निकाली है। वित्तीय वर्ष के पहले महीने अप्रैल में ही बाजार से 1000 करोड़ लेने की नौबत आ चुकी है। हालात ज्यादा न बिगड़ें, ऐसे में कम आमदनी में ही अर्थव्यवस्था की गाड़ी को धकेला जा रहा है। पहली तिमाही में राजस्व वसूली पटरी पर नहीं आ पाई है। हालत ये है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच आने वाले दिनों में भी अर्थव्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाना दूभर हो रहा है।  

25 हजार करोड़ के गैप ने बढ़ाई चिंता

15वें वित्त आयोग के फिर सक्रिय होने पर राज्य सरकार ने संशोधित प्रतिवेदन भेज दिया है। आयोग ने अभी एक वर्ष 2020-21 के लिए ही अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को दी है। वर्ष 2025 तक आयोग को अपनी सिफारिशें देनी हैं। इसके आधार पर ही राज्य को आगामी वर्षों के लिए केंद्र से मदद मिलनी है। राज्य का खर्च तकरीबन 45 हजार करोड़ पहुंच चुका है। इसमें से 20 हजार करोड़ ही राज्य अपने तमाम स्रोतों से जुटा पा रहा है। कोरोना ने इन स्रोतों की ताकत सोख ली है। ऐसे में 25 हजार करोड़ के गैप को पाटना सरकार के माथे पर बल डाले हुए है। 

वित्त सचिव अमित नेगी ने कहा कि संशोधित प्रस्ताव में कोरोना महामारी से उपजी परिस्थितियों समेत राज्य की वित्तीय स्थिति 15वें वित्त आयोग के सामने दोबारा रखी गई है। ढांचागत विकास राज्य की चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आयोग से राज्य को राहत मिलेगी। 

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कोरोना संकट से पहले यह रही चुनौती

केंद्र से मिलने वाली ब्लॉक ग्रांट, विशेष आयोजनागत सहायता और विशेष केंद्रीय सहायता पर रोक लगने से सालाना 2000 करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ है। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढऩे से नुकसान की कुछ हद तक पूर्ति हुई, लेकिन विकास योजनाओं में केंद्र से मिलने वाली राशि में कमी आई। अब जीएसटी लागू होने से राज्य की आमदनी में 39 फीसद की कमी हो चुकी है।

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