सख्त सैन्‍य अफसर और सरल इन्सान थे सीडीएस जनरल बिपिन रावत

सीडीएस जनरल बिपिन रावत सख्त सैन्य अफसर थे तो उनकी छवि एक सरल इन्सान की थी। जिन सैन्य अधिकारियों और जवानों ने जनरल रावत के साथ काम किया वह उन्हें रियल हीरो मानते हैं। जिन्‍होंने देश की सेवा करते हुए ही जान दे दी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 08:57 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 08:57 AM (IST)
सख्त सैन्‍य अफसर और सरल इन्सान थे सीडीएस जनरल बिपिन रावत
सीडीएस जनरल बिपिन रावत वर्दी में सख्त सैन्य अफसर थे, तो दूसरी तरफ उनकी छवि एक सरल इन्सान की थी।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सीडीएस जनरल बिपिन रावत वर्दी में सख्त सैन्य अफसर थे, तो दूसरी तरफ उनकी छवि एक सरल इन्सान की थी। जिन सैन्य अधिकारियों और जवानों ने जनरल रावत के साथ काम किया, वह उन्हें रियल हीरो मानते हैं। ऐसा हीरो जो देश के लिए जिया और देश की सेवा करते हुए ही जान दे दी।

लेफ्टि. जनरल शक्ति गुरुंग (सेनि.) जनरल बिपिन रावत से एक रैंक सीनियर रहे हैं। जनरल रावत के साथ काम के दिनों को याद करते हुए ले. जनरल गुरुंग बताते हैं कि आर्मी हेडक्वार्टर में तैनाती के दौरान वह ब्रिगेडियर थे, जबकि जनरल रावत मेजर जनरल। जनरल रावत बेहद काबिल अधिकारी थे और इसी के बूते वह कम समय में थल सेनाध्यक्ष व चीफ आफ डिफेंस स्टाफ बन पाए। सेना में आधुनिकीकरण के जितने प्रयास किए जा रहे हैं, उनमें जनरल बिपिन रावत का बड़ा योगदान है। सेना में थिएटर कमांड का रोडमैप तैयार करने में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए कर्नल अजय कोठियाल (सेनि.) कहते हैं कि वर्ष 2005-06 में वह आर्मी हेडक्वार्टर में बतौर मेजर तैनात थे। उस समय बिपिन रावत कर्नल थे। वह पहाड़ को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे और कहते थे कि पहाड़ की भलाई के लिए हर सक्षम व्यक्ति को एक मंच पर आना चाहिए। तब जनरल रावत ने कहा था कि पहाड़ के विभिन्न अधिकारियों को साथ जोड़ना चाहिए। उनके प्रयास से ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, पूर्व डीजी कोस्ट गार्ड राजेंद्र सिंह व अन्य कई अधिकारी एक मंच पर आ पाए और पहाड़ की बेहतरी के लिए प्रयास भी किए गए।

कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि जनरल रावत ने लगभग सभी संवेदनशील ब्रिगेड को कमांड किया और अपनी क्षमता के बूते सेना को मजबूत बनाने का काम किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जब म्यांमार में एक सड़क परियोजना के तहत उन्हें बंधक बना लिया गया था, तब जनरल रावत ने ही मध्यस्थता कराकर उन्हें आजाद कराया था। मदद करने की भावना के चलते तमाम सीनियर व जूनियर अधिकारी जनरल रावत को बहुत पसंद करते थे। जनरल बिपिन रावत ने पांचवीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त की थी।

हल्द्वानी निवासी कर्नल संदीप सेन (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वह सीडीएस जनरल बिपिन रावत कभी नहीं भूलेंगे। 5/11 गोरखा राइफल्स में 1993 से 1995 तक उनके साथ काम किया। जम्मू के उरी में पोस्टिंग के दौरान वह कंपनी कमांडर थे और मैं कैप्टन। ढाई साल एक साथ तैनाती के दौरान महसूस किया कि वह स्वभाव से बेहद सरल और जमीन से जुड़े व्यक्ति थे। थल सेना प्रमुख और फिर चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनने के बावजूद उनके व्यवहार में कभी कोई बदलाव देखने को नहीं मिला। अपने जीवन में उनके जैसा ईमानदार व्यक्ति मुझे आज तक नहीं मिला। वह एक बेहतरीन प्लानर भी थे। चाहे युद्ध का मैदान हो या आर्मी प्रशासन से जुड़ा कोई मामला। वह प्लानिंग के साथ अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाते थे। कर्नल सेन के मुताबिक यूनिट में साथ काम करने और एक ही राज्य से होने की वजह से अब भी उनकी सीडीएस जनरल बिपिन रावत से मुलाकात होती रहती थी। तीन और चार दिसंबर को नई दिल्ली कैंट में बैटल ओनर बोगरा कार्यक्रम था, जिसमें 5/11 गोरखा राइफल्स से जुड़े अफसर और जवान भी पहुंचे थे। इसमें जनरल बिपिन रावत शामिल हुए थे। सेना से जुड़े कार्यक्रम में साथ खाना खाने के साथ कई मुद्दों पर बात भी हुई, लेकिन लगा नहीं कि यह उनके साथ आखिरी मुलाकात होगी।

सूबेदार मेजर (आनरेरी लेफ्टिनेंट) रैंक से सेवानिवृत्त हुए टीडी भूटिया बताते हैं कि जनरल रावत से उनकी पहली मुलाकात जनवरी 1979 में अमृतसर पलटन में हुई थी। तब वह मेस हवलदार थे और जनरल रावत आइएमए से पासआउट होकर लेफ्टिनेंट बने थे। उन्हें टू-आइसी की जिम्मेदारी मिली थी। जनरल रावत ड्यूटी के दौरान सख्त मिजाज में रहते और ड्यूटी के बाद सभी के साथ दोस्त की तरह पेश आते थे। मेस हवलदार के रूप में की गई उनकी सेवा को वह अपना सौभाग्य मानते हैं।

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