सैन्य परंपरा का ध्वजवाहक सीडीएस बिपिन रावत का परिवार, दादा और पिता भी सेना में रहे

सीडीएस जनरल बिपिन रावत का पूरा परिवार सैन्य परंपरा का ध्वजवाहक रहा। उनके दादा त्रिलोक सिंह रावत ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार रहे। जनरल रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत डिप्टी आर्मी चीफ के अहम पद तक पहुंचे।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 07:05 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 07:05 AM (IST)
सैन्य परंपरा का ध्वजवाहक सीडीएस बिपिन रावत का परिवार, दादा और पिता भी सेना में रहे
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का पूरा परिवार सैन्य परंपरा का ध्वजवाहक रहा।

विकास गुसाईं, देहरादून। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का पूरा परिवार सैन्य परंपरा का ध्वजवाहक रहा। उनके दादा त्रिलोक सिंह रावत ब्रिटिश आर्मी में सूबेदार रहे। उनकी तैनाती लैंसडौन कैंट में थी। जनरल रावत के पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत डिप्टी आर्मी चीफ के अहम पद तक पहुंचे। जनरल बिपिन रावत को 30 दिसंबर 2019 को देश का पहला सीडीएस नियुक्त किया गया और एक जनवरी 2020 को उन्होंने यह पदभार ग्रहण किया था।

पौड़ी जिले के मूल निवासी

सीडीएस जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को देहरादून में हुआ था। वह मूल रूप से पौड़ी जिले के अंतर्गत कोटद्वार तहसील की ग्राम सभा बिरमोली के जवाड़ गांव की सैंणा तोक के रहने वाले थे। इस तोक में केवल उन्हीं के सगे संबंधियों का परिवार रहता है।

दून में भी ग्रहण की थी शिक्षा

पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत के सेना में होने के कारण जनरल बिपिन रावत के की शिक्षा-दीक्षा देश के विभिन्न शहरों में हुई। इनमें देहरादून भी शामिल रहा। उन्होंने गढ़ी कैंट स्थित कैंब्रियन हाल स्कूल में 1969 में कक्षा छह में प्रवेश लिया था। यहां वह 1971 तक पढ़े। इसके बाद पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत का स्थानांतरण हिमाचल प्रदेश में शिमला हो गया था, आगे की पढ़ाई उन्होंने शिमला में की।

देहरादून के आइएमए से लिया सैन्य प्रशिक्षण

दादा और पिता के पद चिह्नों पर चलते हुए बचपन से ही जनरल रावत का सपना भी सैन्य अधिकारी बनने का था। उनके इस सपने को पंख दिए भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) ने। यहीं से उनकी सैन्य जीवन की शुरुआत की। दिसंबर 1978 में वह आइएएम से पास आउट हुए। 16 दिसंबर को उन्होंने 11 गोरखा रायफल्स की पांचवीं बटालियन में सेकेंड लेफ्टिनेंट के रूप में तैनाती ली। विशेष यह कि इसी रेजिमेंट में उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत भी तैनात रहे थे। 17 दिसंबर 2016 को वह आर्मी चीफ के पद पर तैनात हुए। एक जनवरी 2020 को उन्होंने देश के पहले सीडीएस का पदभार ग्रहण किया।

प्रशिक्षण में चुने गए थे सर्वश्रेष्ठ कैडेट

सीडीएस विपिन रावत शुरु से ही काफी अनुशासित थे। उनमें सीखने की ललक थी। यही कारण रहा कि 1978 में जब वह आइएमए से पास आउट हुए तब उन्हें प्रतिष्ठित स्वार्ड आफ आनर प्रदान की गई थी। यह अवार्ड बैच के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को दिया जाता है।

खुखरी चिह्न से था खास लगाव

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के जीवन में खुखरी चिह्न काफी अहम था। कारण यह कि देहरादून में जिस कैम्ब्रियन हाल स्कूल में उन्होंने तीन वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की, उस स्कूल का प्रतीक चिह्न खुखरी था। स्कूल का मोटो टू ग्रेटर हाइट्स है। इसी से प्रेरणा पाकर वह जीवन में निरंतर ऊंचाईयों को छूते रहे। गोरखा रायफल्स का चिह्न भी खुखरी है। इसीलिए उन्हें खुखरी से खास लगाव था। 10 सितंबर 2017 को जब वह स्कूल में आए थे, तब उन्होंने कहा था कि उनके लिए यह गर्व की बात है कि वह अपने स्कूल के मोटो और चिह्न पर खरे उतरे हैं।

विभिन्न पदकों से रहे हैं अलंकृत

सीडीएस जनरल बिपिन रावत को उनके सेवाकाल में विभिन्न पदकों से अलंकृत किया गया है। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेना मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल आदि मिले।

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