अधूरा रह गया सीडीएस बिपिन रावत का उत्‍तराखंड के पैतृक गांव में बसने का सपना

पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लाक की ग्रामसभा बिरमोली के तोकग्राम सैंणा निवासी भरत सिंह रावत 29 अप्रैल 2018 का वह दिन नहीं भूले जब उनके भतीजे जनरल बिपिन रावत ने सैंणा पहुंचकर वहां मकान बनाने की इच्छा जताई थी।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 08:44 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 08:44 AM (IST)
अधूरा रह गया सीडीएस बिपिन रावत का उत्‍तराखंड के पैतृक गांव में बसने का सपना
प्रखंड द्वारीखाल के अंतर्गत ग्राम सैणा में ग्रामीणों से मिलते जनरल बिपिन रावत।जागरण आर्काइव

अजय खंतवाल, कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल)। द्वारीखाल ब्लाक की ग्रामसभा बिरमोली के तोकग्राम सैंणा निवासी भरत सिंह रावत 29 अप्रैल 2018 का वह दिन आज भी नहीं भूले, जब उनके भतीजे जनरल बिपिन रावत ने सैंणा पहुंचकर वहां मकान बनाने की इच्छा जताई थी। तब जनरल रावत सेनाध्यक्ष के पद को सुशोभित कर रहे थे। उन्होंने गांव में अपनी पैतृक जमीन भी देखी और भविष्य की योजनाओं पर अपने चाचा से चर्चा की। इस दौरान जनरल रावत व उनकी पत्नी मधुलिका की सादगी को देखकर ग्रामीण उनके मुरीद हो गए।

29 अप्रैल 2018 को दोपहर बाद सवा तीन बजे तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल रावत, पत्नी मधुलिका रावत के साथ अपने पैतृक गांव सैंणा पहुंचे। ग्रामीण गांव से करीब एक किमी ऊपर सड़क में अपने लाडले का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वहां ग्रामसभा बिरमोली के साथ ही आसपास के गांवों से भी ग्रामीण पहुंचे हुए थे। उनसे जनरल रावत बेहद आत्मीयता से मिले। इसके बाद जब वे गांव पहुंचे तो चाचा भरत सिंह रावत व हरिनंदन सिंह रावत ने परिवार के साथ उनकी आगवानी की। वहां एक कक्ष में पूरे परिवार के सदस्य बैठे और एक-दूसरे का हालचाल पूछने का सिलसिला शुरू हुआ।

भरत सिंह बताते हैं कि वार्ता के दौरान वे खाली हो चुके गांव को लेकर काफी गंभीर नजर आए। साथ ही वन्य जीवों के कारण छूट रही खेती पर भी उन्होंने ङ्क्षचता जताई। जनरल रावत का कहना था कि ऐसी योजनाएं बनें, जिससे गांव का पलायन रुक सके। इस दौरान उन्होंने अपनी पैतृक भूमि भी देखी और गांव में आवास बनाने की बात कही।

गांव तक नहीं पहुंच पाई सड़क

गांव भ्रमण के दौरान जनरल रावत ने चाचा भरत सिंह को बताया था कि उन्होंने उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर गांव को सड़क से जोड़ने का आग्रह किया है। इस दौरान वहां मौजूद सरकारी अधिकारियों ने कहा था कि अगले एक सप्ताह में गांव को सड़क से जोड़ दिया जाएगा। चाचा भरत सिंह ने बताया कि जनरल रावत के पत्र के बाद शासन ने ग्राम सैंणा को सड़क से जोड़ने के लिए बिरमोलीखाल-सैंणा-मदनपुर-डाडामंडी मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान कर दी थी। सड़क का सर्वे भी हुआ, लेकिन निर्माण नहीं हो पाया।

चार बार आए पैतृक गांव

चाचा भरत सिंह ने बताया कि जनरल रावत कुल चार बार गांव आए। जब वे काफी छोटे थे, तब पिता के साथ गांव आए थे। सेना में भर्ती होने के बाद वे तीन बार गांव आए। 29 अप्रैल 2018 के बाद उनका फिर कभी गांव आना नहीं हुआ।

दून के पौंधा में भी बन रहा था मकान

जनरल रावत का देहरादून से खासा लगाव रहा। यही वजह है कि वे दून में अपना नया मकान बना रहे थे। शहर से करीब 20 किमी दूर जंगल के बीच शांत क्षेत्र प्रेमनगर पौंधा के जलवायु विहार स्थित सिल्वर हाइट्स उनका एक प्लाट है, जिसमें निर्माण कार्य भी शुरू हो गया था। वहां काम कर रहे श्रमिकों को जब जनरल रावत व उनकी पत्नी के निधन की सूचना मिली तो वे भी शोकाकुल हो गए और काम बंद कर दिया। इसी वर्ष नवरात्र में भूमि पूजन के बाद बंगले के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। बीते दो दिसंबर को जनरल रावत की पत्नी मधुलिका निर्माणाधीन भवन देखने भी आई थीं। स्थानीय निवासी वायु सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन आरएस रावल ने बताया कि दो दिसंबर को मधुलिका ने निर्माण कार्य में जुटे श्रमिकों को मिठाई भी बांटी थी। बुधवार दोपहर जब हेलीकाप्टर हादसे की सूचना मिली, तो स्थानीय लोग व श्रमिक उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करने लगे। लेकिन, देर शाम उनके निधन की सूचना से सभी शोक में डूब गए।

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