मसूरी में अवैध रूप से 152 साल पुराने चर्च की संपत्ति बेचने-खरीदने पर चार पर मुकदमा दर्ज

मसूरी में 152 साल पुराने क्राइस्ट चर्च की संपत्ति को अवैध रूप से बेचने और खरीदने का मामला सामने आया है। इस पर मसूरी कोतवाली पुलिस ने चार व्‍यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। बता दें कि चर्च का निर्माण 1839 में हुआ था।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 09:05 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 01:50 PM (IST)
मसूरी में अवैध रूप से 152 साल पुराने चर्च की संपत्ति बेचने-खरीदने पर चार पर मुकदमा दर्ज
मसूरी में अवैध रूप से 152 साल पुराने चर्च की संपत्ति बेचने-खरीदने पर चार पर मुकदमा दर्ज।

संवाद सहयोग, मसूरी। मसूरी के लाइब्रेरी क्षेत्र में 152 साल पुराने क्राइस्ट चर्च की संपत्ति के एक भाग को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेचने-खरीदने के मामले में चार व्यक्तियों के खिलाफ मसूरी कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इंडियन चर्च ट्रस्टी (चर्च आफ इंडिया) के जनरल सेक्रेटरी केनेथ साइमन ने दो सितंबर को कोतवाली में तहरीर दी थी। उन्होंने पुलिस को बताया कि मसूरी के लाइब्रेरी क्षेत्र स्थित क्राइस्ट चर्च की देखभाल व प्रबंधन लखनऊ डाइसिस ट्रस्ट एसोसिएशन करती आ रही है।

वर्ष 2008 में कुछ व्यक्तियों ने रेवरन एचएच फिलिप नाम के व्यक्ति को लखनऊ डाइसिस ट्रस्ट एसोसिएशन का चेयरमैन बताते हुए एजाज अहमद उर्फ एयाज अहमद निवासी रिस्पना कालोनी, देहरादून के पक्ष में एक फर्जी मुख्तारनामा तैयार किया।

केनेथ साइमन ने बताया कि लखनऊ डाइसिस में एचएच फिलिप नाम का कभी भी कोई चेयरमैन नहीं रहा। उन्होंने बताया कि एजाज अहमद से आशीष जैन, संजय कुमार गोयल व नीरज कुमार ने अपने पक्ष में एक कूट रचित विक्रय पत्र तैयार करवाया, जिसके आधार पर क्राइस्ट चर्च की संपत्ति के एक भाग पर कब्जा करने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय इसाई समाज के विरोध के कारण वह कब्जा करने में कामयाब नहीं हो पाए। केनेथ साइमन ने मामले की जांच करवाकर आरोपितों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं, मसूरी कोतवाल गिरीश चंद्र शर्मा के अनुसार, एजाज अहमद, आशीष जैन, संजय कुमार गोयल व नीरज कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

1839 में हुआ था चर्च का निर्माण

14 मई 1836 को क्राइस्ट चर्च के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी और 1839 में बनकर तैयार हुआ था। 1906 में प्रिंसेस आफ वेल्स क्वीन मेरी जब मसूरी आई थीं तो उन्होंने चर्च परिसर में एक देवदार का पौधा रोपा था, जो आज एक विशाल वृक्ष के रूप में मौजूद है।

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