वन प्रभागों को जल्द वितरित होगी कैंपा की धनराशि, राज्य के लिए अनुमोदित किया 950 करोड़ का बजट
उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में अब जल संरक्षण से संबंधित कार्यों में तेजी आएगी तो मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे। इसके साथ ही वनों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में अब जल संरक्षण से संबंधित कार्यों में तेजी आएगी तो मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे। इसके साथ ही वनों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। यह सब संभव होने जा रहा है प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के माध्यम से।
राष्ट्रीय कैंपा ने उत्तराखंड कैंपा की वार्षिक कार्ययोजना के लिए 950 करोड़ का बजट अनुमोदित किया है। कैंपा के सीईओ जेएस सुहाग के अनुसार अब जल्द ही शासन से हरी झंडी मिलते ही वन प्रभागों को कैंपा की धनराशि आवंटित कर दी जाएगी। यह पहला अवसर है, जब उत्तराखंड कैंपा के लिए 950 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्ययोजना पर राष्ट्रीय कैंपा ने पिछले दिनों मुहर लगाई। प्रदेश में कैंपा से क्षतिपूरक वनीकरण से संबंधित कार्यों के अलावा मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम, वन क्षेत्रों में जल संरक्षण, नदियों व जलस्रोंतों का संरक्षण-संवर्धन, बुग्यालों का संरक्षण, जंगलों की आग से रोकथाम समेत अन्य कई कार्य भी कराए जाते हैं।
यही नहीं, कोरोनाकाल में स्थानीय निवासियों को रोजगार मुहैया कराने के मकसद से रखे जा रहे वन प्रहरियों के मानदेय की व्यवस्था भी कैंपा फंड से ही हुई है। इस सबको देखते हुए ही उत्तराखंड कैंपा ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए उक्त योजनाओं को शामिल करने के साथ ही गौरेया संरक्षण, आजीविका विकास जैसे कार्यों को भी वार्षिक कार्ययोजना का हिस्सा बनाया। अब ये कार्य जल्द ही धरातल पर आकार लेंगे।
उत्तराखंड कैंपा के सीईओ जेएस सुहाग के अनुसार राष्ट्रीय कैंपा की हाल में हुई, जिस बैठक में राज्य की वार्षिक कार्ययोजना को अनुमोदित किया गया था, उसके मिनटस यहां उपलब्ध हो गए हैं। अब इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा जा रहा है, ताकि वन प्रभागों को जल्द कैंपा का बजट मुहैया कराया जा सके।
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