सचिव, डीएफओ, उद्यान अधिकारी समेत चार के खिलाफ मुकदमा
हरबर्टपुर जीवनगढ़ और ढकरानी क्षेत्र में फलदार पेड़ों के अवैध कटान मामले में एसआइटी जांच के बाद तत्कालीन दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सचिवों क्षेत्रीय वन अधिकारी उद्यान अधिकारी व भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
जागरण संवाददाता, विकासनगर: हरबर्टपुर, जीवनगढ़ और ढकरानी क्षेत्र में फलदार पेड़ों के अवैध कटान मामले में एसआइटी जांच के बाद तत्कालीन दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सचिवों, क्षेत्रीय वन अधिकारी, उद्यान अधिकारी व भूमाफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। तत्कालीन अधिकारियों के कार्यकाल में हरबर्टपुर, जीवनगढ़, ढकरानी क्षेत्र में अवैध रूप से फलदार पेड़ों का कटान किया गया था। करीब चार सौ बीघा भूमि पर खड़े पेड़ों को काटकर अवैध प्ला¨टग कर दी गई थी। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वर्तमान में साडा-मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण का विलय हो चुका है। फलदार पेड़ काटे जाने और जमीन पर अवैध प्लाटिंग के मामले में विकासनगर निवासी अनुज कंसल ने वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय नैनीताल में जनहित याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने दूनघाटी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत हरबर्टपुर, जीवनगढ़, ढकरानी के आस-पास कृषि भूमि, बगीचा भूमि को आवासीय श्रेणी में परिवर्तित करने व फलदार पेड़ को काटने की स्वीकृति दिये जाने पर संबंधित प्रकरण में एसआइटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे। पूर्व में इस संबंध में जांच पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र की अध्यक्षता में गठित टीम की ओर से की जा रही थी। पुन: पुलिस मुख्यालय ने इस संबंध में लंबित जांच को पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं परिक्षेत्र अजय रौतेला व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून डॉ. योगेन्द्र ¨सह रावत को संपादित करने के लिए निर्देशित किया गया। जांच के उपरांत एसआइटी ने मामले में गहन अन्वेषण के लिए मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति की। जांच में तथ्य सामने आए कि भूस्वामियों व कॉलोनाइजर्स (भू माफिया) ने शासन की अनुमति के बिना, बगीचे की भूमि का लैंडयूज परिवर्तित कराए बिना चार सौ बीघा भूमि पर प्ला¨टग के साथ ही फलदार वृक्षों का अवैध पातन किया गया। इसके साथ ही विभिन्न लोगों को भू-खंड विक्रय किए गए। कई भूखंडों के विक्रय पत्रों में वृक्ष होने के बावजूद वृक्षों का नहीं होना दर्शाया गया। इसके अतिरिक्त तत्कालिक अवधि (वर्ष 2007 से 2014 के मध्य) में दूनघाटी विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के सचिव, वन विभाग के प्रभागीय वनाधिकारी कालसी, उद्यान विभाग के जिला उद्यान अधिकारी व इन विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों की ओर से भूस्वामियों व कॉलोनाइजर्स के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई और न ही लोकसेवक होने के नाते अपने कर्तव्यों का पालन किया गया। कोतवाल राजीव रौथाण के अनुसार शासन की ओर से संपादित एसआइटी जांच आख्या के आधार पर उत्तरदायी मूल भूस्वामी, कॉलोनाइजर्स, संबंधित विभाग के लोकसेवकों के विरूद्ध षड़यंत्र की धारा व उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम का अभियोग पंजीकृत किया गया है। जिसकी विवेचना थानाध्यक्ष कालसी गिरीश नेगी की ओर से की जा रही है।
Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें