Uttarakhand Politics: कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत की अब दिल्ली दरबार में दस्तक, अमित शाह के समक्ष रखी अपनी बात

बीते रोज कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उन्‍होंने अमित शाह को पिछले कुछ महीनों के दौरान के घटनाक्रम से उन्हें अवगत कराया। हालांकि उन्‍होंने कहा कि इस दौरान चुनाव पर चर्चा हुई।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 08:47 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 08:47 AM (IST)
Uttarakhand Politics: कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत की अब दिल्ली दरबार में दस्तक, अमित शाह के समक्ष रखी अपनी बात
नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करते उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण मंत्री डा हरक सिंह रावत दाएं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। पिछले काफी वक्त से स्वयं को भाजपा में उपेक्षित महसूस कर रहे कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत ने अब शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी व्यथा रख दी है। गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर हरक ने पिछले कुछ महीनों के दौरान के घटनाक्रम से उन्हें अवगत कराया। हालांकि बैठक के बाद उन्होंने कहा कि इस दौरान केवल आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर ही चर्चा हुई।

मार्च 2016 में अपने आठ अन्य साथी विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले हरक सिंह रावत पिछले लगभग एक वर्ष से अलग-अलग मामलों को लेकर चर्चा में रहे हैं। गत वर्ष अक्टूबर में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाकर शमशेर सिंह सत्याल को यह जिम्मेदारी सौंप दी। तब से लेकर अब तक हरक और सत्याल के बीच वार-पलटवार का सिलसिला जारी है।

इस बीच गत मार्च में त्रिवेंद्र के स्थान पर तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बन गए। तब हरक को उम्मीद थी कि कर्मकार कल्याण बोर्ड के मामले में उनकी सुनी जाएगी, मगर तीरथ की चार महीने के अंदर ही विदाई हो गई। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने। दिलचस्प बात यह कि हरक के साथ ही कांग्रेस पृष्ठभूमि के एक अन्य कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी नेतृत्व परिवर्तन के मौके पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन दोनों को ही मौका नहीं मिला। धामी के शपथ ग्रहण से पहले इन दोनों की नाराजगी सार्वजनिक तौर पर नजर भी आई।

हाल ही में कांग्रेस पृष्ठभूमि के एक अन्य विधायक उमेश शर्मा काऊ के पार्टी कार्यकर्त्‍ताओं के साथ विवाद के मामले में हरक और महाराज खुलकर काऊ की पैरवी में उतर आए। अभी यह विवाद थमा भी नहीं कि हरक के एक बयान ने भाजपा की अंदरूनी सियासत में हलचल मचा दी। हरक ने कहा कि उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के कहने के बावजूद ढैंचा बीज घोटाले में त्रिवेंद्र के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और उन्हें जेल जाने से बचाया। इसका त्रिवेंद्र ने तंज कसकर जवाब दिया कि गधा जो होता है ढैंचा-ढैंचा करता है। इसके जवाब में हरक ने नसीहत दे डाली कि कांच के घर में रहने वाले दूसरे के घर पर पत्थर नहीं फेंकते।

हालांकि इसके तत्काल बाद बतौर प्रदेश चुनाव प्रभारी पहली बार देहरादून पहुंचे केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस तरह की बयानबाजी पर सख्त एतराज जताते हुए पार्टी नेताओं को इससे बचने के निर्देश दिए। तब जाकर यह रार थमी। सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष हरक ने इन तमाम प्रकरणों पर अपना पक्ष रखा। मुलाकात के बाद जागरण से बातचीत में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि वह काफी समय से केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करना चाहते थे, मगर इसके लिए वक्त अब मिला। बकौल हरक, इस मुलाकात के दौरान आगामी विधानसभा चुनाव के सिलसिले में विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि किस तरह भाजपा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत साथ सत्ता में वापसी कर सकती है।

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