अहोई पर्व पर महिलाओं ने रखा निर्जल उपवास
त्यूणी गुरुवार सुबह हरिद्वार से सवारी लेकर शिमला जा रही एचआरटीसी की बस रोड पर पलट गई।
जागरण संवाददाता, विकासनगर: गुरुवार को पछवादून में महिलाओं ने संतान की सुख-समृद्धि के लिए निर्जल उपवास रखा और अहोई पर्व मनाया। रात में आसमान में तारे निकलते ही पूजा अर्चना कीं। व्रत कथा पढ़ने के साथ ही प्रसाद ग्रहण किया।
करवा चौथ के बाद उत्तर भारत में अहोई माता के उपवास का पर्व भी महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां रात्रि को तारे देखकर ही अपने पुत्र के दीर्घायु होने की कामना करती हैं और उसके बाद उपवास खोलती हैं। निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। वहीं, साईंविहार झाझरा में महिलाओं ने संतान की कुशलता के लिए व्रत रखा। पछवादून के विकासनगर, हरबर्टपुर, सहसपुर, सेलाकुई, झाझरा सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दिन भर इस व्रत पर्व को लेकर उत्साह दिखा।
अहोई कथा सुनाते हुए कलावती शर्मा ने कहा कि प्राचीन काल से एक साहूकार की सात बहुए और एक पुत्री दीपावली के उपलक्ष्य में घर की लिपाई के लिए मिट्टी खोदने गई थीं, साहूकार की बेटी ने मिट्टी काटनी शुरू की तो वहीं पर स्याहू अपने सात बेटों के साथ रहती थी। मिट्टी गिरने पर स्याहू के बच्चे दब गए, जिससे उसकी मौत हो गई। स्याहू ने उस समय शाप देते हुए कहा था कि मैं तुम्हारी कोख को बांधती हूं। तभी से अभिशाप से बचने को अहोई अष्टमी का पूजन महिलाएं कर रही हैं। इस मौके पर कलावती शर्मा, आशा नेगी, निधि शर्मा, सुनीता सैनी, नेहा पांडेय, अनिता बिष्ट, त्रिलोचना सहित कई अन्य महिलाएं कथा के दौरान मौजूद रहीं।