IIP के बायोडीजल से पहली बार दौड़ी बस और कार, इस ईंधन को दिया गया है ये नाम

यह बात जगजाहिर है कि पेट्रोलियम पदार्थ सीमित समय के लिए ही उपलब्ध हैं और पर्यावरण में कार्बन की बढ़ोतरी में भी इन्हीं का सर्वाधिक योगदान रहता। इसको देखते हुए आइआइपी भविष्य में ग्रीन एनर्जी और वैकल्पिक ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए लगातार प्रयोग कर रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 10:20 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:20 AM (IST)
IIP के बायोडीजल से पहली बार दौड़ी बस और कार, इस ईंधन को दिया गया है ये नाम
IIP के बायोडीजल से पहली बार दौड़ी बस और कार, इस ईंधन को दिया गया है ये नाम।

 जागरण संवाददाता, देहरादून। यह बात जगजाहिर है कि पेट्रोलियम पदार्थ सीमित समय के लिए ही उपलब्ध हैं और पर्यावरण में कार्बन की बढ़ोतरी में भी इन्हीं का सर्वाधिक योगदान रहता है। इसको देखते हुए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) भविष्य में ग्रीन एनर्जी और वैकल्पिक ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए लगातार प्रयोग कर रहा है। बुधवार को संस्थान ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए वेस्ट प्लास्टिक से तैयार डीजल से आइआइपी केंद्रीय विद्यालय की बस को दौड़ाकर अपने एक प्रयोग का भली-भांति प्रदर्शन भी कर लिया। संस्थान की हीरक जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सेंट्रल साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने इस बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

आइआइपी के प्लांट में वेस्ट प्लास्टिक से तैयार किए गए डीजल का इस्तेमाल कर बस को संस्थान परिसर में चलाया गया। बस का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप मिला। इस खास अवसर पर संस्थान की एक तकनीक बायोडीजल/ग्रीन डीजल का प्रदर्शन भी किया गया। महानिदेशक के समक्ष ही विज्ञानियों ने बायोडीजल को कार में भरा। इसके बाद महानिदेशक ने स्वयं कार की कमान संभालकर ग्रीन डीजल के प्रदर्शन का जायजा लिया। संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने महानिदेशक को बताया कि इस ईंधन को 'दिलसाफ' (ड्रॉप इन लिक्विड सस्टेनेबल एविएशन और ऑटोमोटिव फ्यूल) नाम दिया गया है।

इसके बाद संस्थान के सभागार में हीरक जयंती के साथ ही भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 130वीं जयंती मनाई गई। निदेशक डॉ. रे ने बताया कि आइआइपी आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। प्रयास किए जा रहे हैैं कि ईंधन के आयात को कम किया जाए। कार्यक्रम में डॉ. नीरज आत्रे, डॉ. जयति, डॉ. डीसी पांडे, अनिल जैन, पूनम गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

मोहाली और ओडिशा में लगेगा पराली से ग्रीन ईंधन का संयंत्र 

आइआइपी निदेशक ने बताया कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन ईंधन तैयार करने की तकनीक ईजाद की गई है। इसका संयंत्र पंजाब के मोहाली और ओडिशा के नवरंगपुर में लगाया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि लद्दाख को प्रदूषणमुक्त और विकसित बनाने के लिए वहां जियोथर्मल परियोजना शुरू की जा रही है।

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