Road Safety: उत्तराखंड में बजट भरपूर, लेकिन सड़क सुरक्षा पर नहीं हो रहा है खर्च

सड़क सुरक्षा के लिए बजट स्वीकृत होने के बावजूद लोक निर्माण विभाग इसके इस्तेमाल को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा। स्थिति यह है कि दुर्घटना संभावित स्थलों को ठीक करने के लिए 50 करोड़ से अधिक की व्यवस्था है लेकिन इसमें मात्रा 2.80 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:10 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:10 AM (IST)
Road Safety: उत्तराखंड में बजट भरपूर, लेकिन सड़क सुरक्षा पर नहीं हो रहा है खर्च
उत्तराखंड में बजट भरपूर, लेकिन सड़क सुरक्षा पर नहीं हो रहा है खर्च।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। सड़क सुरक्षा के लिए बजट स्वीकृत होने के बावजूद लोक निर्माण विभाग इसके इस्तेमाल को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। स्थिति यह है कि दुर्घटना संभावित स्थलों को ठीक करने के लिए 50 करोड़ से अधिक की व्यवस्था है, लेकिन इसमें मात्रा 2.80 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। इस पर परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को सड़क सुरक्षा से संबंधित कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं और इससे होने वाली मृत्यु में वर्ष 2022 तक 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने के लिए भी निर्देशित किया है।

विधानसभा में मंगलवार को परिवहन मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। बैठक में वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2021 तक हुई सड़क दुर्घटनाओं का तुलनात्मक विवरण रखा गया। इसमें यह बात सामने आई कि प्रदेश के चार मैदानी इलाकों में सड़क दुर्घटनाओं में 52 फीसद बढ़ोतरी दर्ज की गई है। प्रदेश में 156 ब्लैक स्पाट व 2179 दुर्घटना संभावित स्थल चिह्नित किए गए हैं, जिनमें से 99 ब्लैक स्पाट पर ही काम हो पाया है। 99 ब्लैक स्पाट अभी भी आमजन के लिए खतरा बने हुए हैं।

2179 दुर्घटना संभावित स्थलों में से 1069 पर ही काम हुआ है। अवशेष कार्यों में सबसे अधिक 937 कार्य लोक निर्माण विभाग के शेष हैं। यह स्थिति तब है, जब सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा उन्हें पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है। परिवहन मंत्री ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को मामले में कोताही न बरतते हुए कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण दुर्घटना संभावित स्थलों के सुधार के कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करे।

उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को दुर्घटना के समय के पहले घंटे में आमजन का जीवन बचाने के लिए निजी एंबुलेंस को भी सरकारी एंबुलेंस की तरह उपयोग में लाने के निर्देश दिए। उन्होंने परिवहन विभाग और पुलिस को सड़क सुरक्षा के मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति को स्थलीय निरीक्षण करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने को कहा। परिवहन मंत्री ने सड़क सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता अभियान चलाने के भी निर्देश दिए।

बैठक में आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, सचिव परिवहन रणजीत सिन्हा, प्रभारी सचिव वी षणमुगम, परिवहन आयुक्त दीपेंद्र चौधरी, डीआइजी रिद्धिम अग्रवाल व नीरू गर्ग, निदेशक स्वास्थ्य डा. सुमन आर्य तथा मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग ओमप्रकाश भी उपस्थित थे।

दुपहिया और निजी कार से सबसे अधिक दुर्घटना

प्रदेश में सबसे अधिक दुर्घटना दुपहिया और निजी कार से हो रही है। इस वर्ष हुई कुल 659 दुर्घटनाओं में से 385 दुर्घटनाएं निजी कार व दुपहिया वाहनों से हुई है। इन दुर्घटनाओं में 399 मौत हुई हैं। इनमें से दुपहिया और निजी कार से 136 मौत हुई, जो दुर्घटना में हुई कुल मौत का 34.08 प्रतिशत है।

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