अब निर्माणाधीन व स्वीकृत पुलों की त्रिस्तरीय जांच

प्रदेश में निर्माणाधीन व स्वीकृत लगभग 150 नए पुल निर्माण के दौरान त्रिस्तरीय जांच से गुजरेंगे। यह जांच पुल के 30 प्रतिशत 60 प्रतिशत और फिर पूर्ण होने पर की जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Jun 2019 03:01 AM (IST) Updated:Fri, 14 Jun 2019 03:01 AM (IST)
अब निर्माणाधीन व स्वीकृत पुलों की त्रिस्तरीय जांच
अब निर्माणाधीन व स्वीकृत पुलों की त्रिस्तरीय जांच

विकास गुसाई, देहरादून

प्रदेश में निर्माणाधीन व स्वीकृत, लगभग 150 नए पुल निर्माण के दौरान त्रिस्तरीय जांच से गुजरेंगे। यह जांच पुल के 30 प्रतिशत, 60 प्रतिशत और फिर पूर्ण होने पर की जाएगी। पुलों की गुणवत्ता परीक्षण और बेहतर कार्य के लिए शासन ने यह कदम उठाया है। इनकी जांच दिल्ली के श्रीराम इंस्टीट्यूट से कराई जाएगी।

प्रदेश में पुलों के निर्माण को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। चाहे वे झूला पुल हों, पैदल पुल या फिर बड़े पुल। हर बार इनमें कई खामियां पाई गई हैं। कहीं तकनीकी खामी, तो कहीं निर्माण सामग्री में गुणवत्ता से समझौते की बात सामने आई है। यही वजह रही कि कभी पुलों के गिरने तो कभी इनमें दरार देखी गई। इस तरह के प्रकरणों में लगातार कार्रवाई भी हुई है लेकिन अधिकारियों की कार्यशैली में बदलाव नहीं आया। दरअसल, अभी तक शासन और विभागीय स्तर पर कराई गई जांचों में खुलासा हुआ है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य आवंटित करने के बाद निर्माण के दौरान पुलों का कोई निरीक्षण नहीं किया जाता। यदि कभी ऐसा होता भी है तो निरीक्षण के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है। यहां तक कि कुछ मामलों में अधिकारियों की ठेकेदारों के साथ संलिप्तता भी सामने आई है। इसे देखते हुए अब शासन ने प्रदेश के निर्माणाधीन व स्वीकृत पुलों की अब से त्रिस्तरीय जांच करने का निर्णय लिया है। इसके तहत काम के समय ही इसकी गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा। इसके तहत पहले चरण में यह देखा जाएगा कि पुल तय मानकों व डिजाइन के अनुरूप बन रहा है या नहीं। दूसरे चरण में इन तथ्यों के साथ ही निर्माण सामग्री का भी परीक्षण किया जाएगा। पुल पूरा बनने के बाद इसके मानकों, डिजाइन व निर्माण सामग्री की जांच की जाएगी।

अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री व लोनिवि ओमप्रकाश ने बताया कि पुलों के निर्माण में गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए त्रिस्तरीय मूल्यांकन की योजना बनाई गई है। किसी भी स्तर में जांच में यदि कोई खामी पाई जाती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। निर्माण के दौरान मानकों व गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा। जांच में खामी पाए जाने पर भुगतान रोकने के साथ ही कार्य प्रकृति के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।

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