समय से पहले दिखने लगी बुरांस की लालिमा

भगत सिंह तोमर साहिया जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के साहिया व चकराता क्षेत्र के जंगलों में बुर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 04:15 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 04:15 AM (IST)
समय से पहले दिखने लगी बुरांस की लालिमा
समय से पहले दिखने लगी बुरांस की लालिमा

भगत सिंह तोमर साहिया:

जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के साहिया व चकराता क्षेत्र के जंगलों में बुरांस की लालिमा समय से पहले दिखने लगी है। बुरांस के खिलने का समय मध्य मार्च से है, लेकिन इस बार रात दिन के तापमान में ज्यादा अंतर का असर बुरांस पर पड़ा है। समय से पहले फूलों के खिलने से स्थानीय ग्रामीण भी अचंभित हैं।

जौनसार-बावर में समय से पहले खिल रहे बुरांस के फूलों की लालिमा पर्यटकों को आकर्षित करने लगी है। खिले बुरांस यह अहसास भी करा रहे हैं कि मार्च में रंगों का त्योहार होली और अप्रैल में बिस्सू पर्व नजदीक आ गया है। जौनसार में बुरांस फूल का बड़ा महत्व है, बिस्सू पर्व पर बुरांस देवता को अर्पित करने के बाद घर सजाने की परंपरा वर्षों से है। मौसम के मिजाज में परिवर्तन के चलते दिन का तापमान बढ़ने पर साहिया क्षेत्र के कोरूवा, कोठा तारली आदि जंगलों में बुरांस की लालिमा मनमोह रही है। जंगलों में फूल की लालिमा पर्यटकों को भी खूब आकर्षित कर रही। ग्रामीण बच्चे फूलों को तोड़कर घरों तक लाने लगे हैं। वैसे बुरांस के फूल खिलने का समय मध्य मार्च से मई तक है। मौसम का मिजाज बदलने पर थोड़ा पहले ही बुरांस खिलना शुरू हो गया है। क्षेत्रीय ग्रामीण नारायण सिंह, वीरेंद्र सिंह, संतन सिंह, अजब सिंह, पूरण सिंह, सरदार सिंह, देवी सिंह आदि बताते हैं कि इस बार समय से पहले बुरांस खिला है। बुरांस फूल का जनजातीय क्षेत्र के साथ पुराना नाता है। क्षेत्र के अप्रैल में होने वाले मुख्य पर्व बिस्सू में हर गांव के लोग फुलियात के दिन सुबह स्नान करने के बाद जंगलों से बुरांस लाकर पहले देवता को अर्पित करते हैं, फिर घरों को सजाते हैं, उसके बाद ही बिस्सू पर्व की शुरूआत होती है। ग्रीष्म काल में शीतल पेय के रूप में मेहमानों को बुरांस का जूस दिया जाता है, जो कई बीमारियों की दवा भी है।

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