सावधान! ऑफर के चक्कर में अकाउंट खाली कर सकता है लिंक, इन बातों पर दें ध्यान

बाजार की भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग सबसे बेहतर विकल्प बन कर उभर रहा है। अब तो कंपनियां दशहरा और दीपावली के ऑफर भी देने लगी हैं। मगर इन सबके बीच सावधान रहने की आवश्यकता है।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 01:23 PM (IST)
सावधान! ऑफर के चक्कर में अकाउंट खाली कर सकता है लिंक, इन बातों पर दें ध्यान
सावधान! ऑफर के चक्कर में अकाउंट खाली कर सकता है लिंक।

देहरादून, जेएनएन। कोरोना काल में बाजार की भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग सबसे बेहतर विकल्प बन कर उभर रहा है। अब तो कंपनियां दशहरा और दीपावली के ऑफर भी देने लगी हैं। मगर इन सबके बीच सावधान रहने की आवश्यकता है। वजह यह कि इन ऑफर वाले मैसेज की नकल कर जालसाज आपके अकाउंट में सेंध लगाकर धोखाधड़ी का शिकार बना सकता है।

साइबर ठग हमेशा से वारदात के लिए नए-नए तरीके आजमाते रहते हैं। व्हॉटसएप और फेसबुक पर फ्री मोबाइल रिचार्ज के मैसेज भेज कर लोगों को जाल में फंसा कर उनकी जानकारियां चोरी कर ब्लैक मार्केट में बेची जा रही हैं। इसकी मदद से साइबर ठग रिमोट एक्सेस ऐप डाउनलोड करा कर खाते तक खाली कर सकते हैं। एसटीएफ ने अलर्ट करते हुए कहा है कि कोरोना के चलते लोग इंटरनेट का अधिक प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में ई-मेल, व्हॉटसएप, फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऑफर आने शुरू हो गए हैं। ऑफर देने वाले लिंक को खोलने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह साइबर ठगों का नया तरीका इस तरह के मैसेज भेजने का मकसद दूसरे व्यक्ति की फोन नंबर, लोकेशन, नाम और शहर जानने के लिए किया जाता है, जिसे इकट्ठा कर डार्क वेब पर ऊंचे दाम में बेचा जाता है।

लिंक में जानकारी मांगे तो हो जाएं सतर्क

अधिकतर मैसेज में आए लिंक को खोलने पर उसमें नाम, फोन नंबर और शहर के बारे में जानकारी भरने को कहा जाता है। इसके फेर में फंस कर कई लोग बिना सच्चाई जाने अपने साथ ही परिचितों की निजता को भी खतरे में डाल देते हैं। इसका इस्तेमाल कर साइबर जालसाज बैंक खाते तक पहुंच सकता है और उसमें जमा पूंजी को एक झटके में निकाल सकता है। 

रिमोट एक्सेस ऐप से खाते में सेंध

साइबर जालसाज लोगों की गोपनीय जानकारी चुराने के साथ ही उनको फोन कर बैंक डिटेल या यूपीआइ की जानकारी तक जुटाने की भी कोशिश करते हैं। इसके अलावा मोबाइल पर एक मैसेज भेजकर उसमें दिए गए लिंक को डाउनलोड करने के लिए भी कहते हैं। ठगों की मंशा से अंजान व्यक्ति लिंक पर क्लिक करता है, तो उसके मोबाइल पर रिमोट एक्सेस एप (टीम विवर, एनीडेस्क या क्विक सपोर्ट) डाउनलोड हो जाती है। इस बीच जालसाज उसे बातों में फंसा कर नौ डिजिट का कोड और पिन नंबर पूछ लेता है। इसके बाद ठग के नियंत्रण में दूसरे व्यक्ति का फोन आ जाता है, जिसकी मदद से वह ई-वॉलेट को आसानी से इस्तेमाल कर रुपए निकाल सकता है। 

इन बातों पर ध्यान दें

हमेशा नामचीन और अच्छी कंपनी की वेबसाइट से ही खरीदारी करें। ज्यादा बचत देखकर किसी ऐसी वेबसाइट से खरीदारी न करें, जिसके बारे में जानकारी नहीं है। वेबसाइट का यूआरएल जरूर चेक करें। वह एचटीटीपी के बजाय एचटीटीपीएस होना चाहिए। आखिर में एस का मतलब है कि गूगल ने उसे सिक्योर्ड किया है। इससे आप धोखाधड़ी पर आसानी से क्लेम कर सकते हैं। किसी कंपनी का कोई उत्पाद अगर तीसरी कंपनी बेच रही है तो उसके नाम, पते आदि की जानकारी कर लें और मुख्य कंपनी से संपर्क कर पता करें। वेबसाइट पर सामान की फोटो देखने से वह काफी आकर्षक लगता है, जबकि बाद में ठगे जाने का अहसास होता है। इसलिए उत्पाद को अच्छी तरह से जांच लें। यह सुनिश्चित हो कि जो उत्पाद बुक किया है वही डिलीवर हुआ है। ऑनलाइन शॉपिंग करने से पहले अपने जान-पहचान वालों से भी संबंधित वेबसाइट और उसकी सर्विस के बारे में पता कर लें, जिससे धोखाधड़ी की कोई आशंका न रहे। उत्पाद बुक करने के लिए जब भी ऑनलाइन बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करें तो बिल के बारे में भी जानकारी लें। बैंक की अनुमति के बिना पेमेंट नहीं करती हैं। ऑनलाइन पेमेंट करते समय कभी भी क्रेडिट कार्ड नंबर पहले न डालें। प्रोफार्मा पर उत्पाद की सूचना भर लें, इसके बाद बैंक से जुड़ी जानकारी भरें। किसी को बैंक या एटीएम कार्ड की डिटेल न बताएं।

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डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि साइबर ठगी के मामलों को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है। त्योहारी सीजन को देखते हुए आम नागरिकों को साइबर ठगी के प्रति जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इसे लेकर स्वयं भी लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। इससे वह घटना के शिकार होने से काफी हद तक बच सकते हैं।

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