अब न स्कूल कैंटीन और न बाहर मिलेगा जंक फूड, जानिए इससे होने वाले नुकसान

आज दून में ही हर गली-नुक्कड़ रेस्टोरेंट मॉल और यहां तक कि स्कूल-कॉलेज की कैंटीन में भी पिज्जा बर्गर रोल चाऊमीन फ्रैंच फ्राई जैसे खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं। यानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले ये पदार्थ हर जगह सहजता से उपलब्ध हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 04:45 PM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 04:45 PM (IST)
अब न स्कूल कैंटीन और न बाहर मिलेगा जंक फूड, जानिए इससे होने वाले नुकसान
अब न स्कूल कैंटीन और न बाहर मिलेगा जंक फूड न बाहर।

देहरादून, जेएनएन। जंक फूड का नाम आते ही बच्चों की जुबां पर पानी आ जाता है। ताज्जुब की बात यह है कि बच्चों के साथ अभिभावक भी इसे बड़े चाव के साथ खाते हैं। यही वजह है कि कुछ वर्षों में ही जंक फूड का कारोबार करोड़ों में पहुंच गया है। आज दून में ही हर गली-नुक्कड़, रेस्टोरेंट, मॉल और यहां तक कि स्कूल-कॉलेज की कैंटीन में भी पिज्जा, बर्गर, रोल, चाऊमीन, फ्रैंच फ्राई जैसे खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं। यानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले ये पदार्थ हर जगह सहजता से उपलब्ध हैं। ऐसे में अब बच्चों की सेहत का ख्याल रखते हुए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक बड़ा फैसला लिया है। 

एफएसएसएआइ ने स्कूल कैंटीन और स्कूल परिसर के 50 मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगा दी है। एफएसएसएआइ की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह कदम स्कूली बच्चों की सुरक्षा और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। खाद्य सुरक्षा विभाग के जिला अभिहित अधिकारी जीसी कंडवाल के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा खानपान जरूरी है। इसी के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। सीबीएसई काउंसलर डॉ. सोना कौशल गुप्ता का मानना है कि चाहे अनचाहे स्कूल प्रबंधन और बच्चों के अभिभावक मासूमों को बीमार कर रहे हैं। 

बढ़ते जंक फूड का चलन बच्चों के लिए घातक होता जा रहा है। बच्चों में फास्ट फूड का चलन इस कदर बढ़ गया है कि वह न सिर्फ बाहर बल्कि घर में भी फास्ट फूड ही पसंद करते हैं। इसकी वजह से वह न सिर्फ पौष्टिक आहार से दूर हो रहे हैं, बल्कि बीमार भी हो रहे हैं। ऐसे में यह एक अच्छा कदम है। इस कदम से स्कूली बच्चों की बौद्धिक क्षमता और इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होगा।

लेना होगा लाइसेंस

अब स्कूल-कॉलेजों में कैंटीन खोलने के लिए लाइसेंस लेना होगा। कैंटीन, मेस, किचन संचालित करने वालों को एफएसएसएआइ लाइसेंस देगा। साथ ही शिक्षा विभाग द्वारा मिड डे मील के अनुबंधित फूड कारोबारियों को भी एफएसएसएआइ में रजिस्ट्रेशन कराना होगा या फिर लाइसेंस लेना होगा। समय-समय पर अधिकारियों द्वारा स्कूल परिसरों का नियमित निरीक्षण भी किया जाएगा। सभी संस्थानों को बच्चों को सुरक्षित, स्वास्थ्यवर्धक और शुद्ध भोजन उपलब्ध करना सुनिश्चित करना पड़ेगा।

जंक फूड के नुकसान 

-बाजार में पैकेट में मिलने वाले फ्रैंच फ्राइज, आलू टिक्की, चिप्स आदि ज्यादा हानिकारक होते हैं। 

-तुरंत पकने वाले नूडल्स आजकल सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें मौजूद कई हानिकारक तत्व बीमारियों को न्योता दे सकते हैं। 100 ग्राम नूडल्स में 138 कैलोरी होती है, जो चर्बी और दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार हो सकती है। इसमें मौजूद मैदा आंतों को नुकसान पहुंचा सकता है। 

-पैकेट बंद नूडल्स और सूप में काफी मात्रा में स्टार्च और नमक होता है। इसके अलावा इनमें मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) होता है, जिसे ज्यादा खाने से विकृति उत्पन्न होती है। 

-डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। 

-पिज्जा की एक स्लाइस में 151 कैलोरी होती है। यह शरीर को रोजाना मिलने वाले फैट का 28 फीसद होता है। इससे मेटाबॉलिक रेट कम हो जाता है। जरूरत से ज्यादा सेवन करने से हृदय संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। 

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-बर्गर हाई कैलोरी फूड की कैटेगरी में आता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 100 ग्राम के एक हैमबर्गर में करीब 295 कैलोरी होती है, जिससे शरीर में चर्बी बढ़ने का खतरा भी बढ़ता है। 

-बर्गर में मौजूद तेल कोलेस्ट्रॉल और फैट को बढ़ावा देता है। इसमें मौजूद मैदे से आंत और हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है। हाई ब्लडप्रेशर और किडनी रोग का भी खतरा रहता है। 

-मोमोज के साथ मिलने वाला मेयोनीज सॉस कोलेस्ट्रॉल और फैट बढ़ाने का काम करता है। 

-पैक्ड फूड में मौजूद ट्रांसफैट की मात्रा सेहत के लिए हानिकारक होती है। यह ट्रांसफैट हाइड्रोजन गैस और तेल के मिश्रण से तैयार होता है। हालांकि, प्राकृतिक रूप से यह ट्रांसफैट मांसाहार और दुग्ध उत्पाद में पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इससे मोटापे के साथ धमनियों में चर्बी जमने की आशंका होती है।

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