यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में भी गैर मान्यता प्राप्त संगठनों से पत्राचार और वार्ता पर रोक
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी शिक्षा विभाग के अंतर्गत गैर मान्यता प्राप्त संगठनों के पत्रों पर न तो शासन कार्रवाई करेगा और न ही उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता होगी। सरकार ने यह फरमान जारी किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी शिक्षा विभाग के अंतर्गत गैर मान्यता प्राप्त संगठनों के पत्रों पर न तो शासन कार्रवाई करेगा और न ही उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता होगी। सरकार ने यह फरमान जारी किया है। इससे शिक्षा महकमे में गैर मान्यता प्राप्त संगठनों में खलबली मच गई है।
दरअसल, शिक्षा महानिदेशक ने 12 जनवरी, 2021 को शासन को प्रस्ताव भेजा था। इसमें विभाग में गैर मान्यता प्राप्त संगठनों के पत्रों पर कार्यवाही न किए जाने और उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक नहीं करने के संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया था। उत्तर प्रदेश में यह व्यवस्था पहले से लागू है। इस व्यवस्था के मुताबिक गैर मान्यताप्राप्त संगठनों के साथ पत्राचार या बैठक पर पाबंदी है।
शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मान्यताप्राप्त संगठन इस मुद्दे को लगातार उठा रहे थे। आखिरकार शासन ने उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी किए। शासन के इस कदम से गैर मान्यता प्राप्त संगठनों में बेचैनी है।
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राजकीय एलटी समायोजित पदोन्नत शिक्षक संघर्ष मंच उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर फुलोरिया ने इस पर सख्त आपत्ति की है। उन्होंने कहा कि शिक्षक किसी का गुलाम नहीं है। यही वजह है कि आज राजकीय शिक्षक संघ के दो गुट बन गए हैं। जो गुट अच्छा काम करेगा, शिक्षक उसके सदस्य होंगे। प्रदेश में रहना होगा तो शिक्षकों का काम करना होगा।
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