बदरीनाथ धाम के कपाट खुले, जानिए कपाट खुलने की मान्यता और रीति-रिवाज

Badinath Dham Open Today चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को वैदिक मंत्रोचार एवं शास्त्रोक्त विधि-विधान से प्रात 4 बजकर 15 मिनट पर खोल दिए गए है। आपको बता दें मंदिर के कपाट खोलने की पौराणिक मान्यता और पारंपरिक रीति-रिवाज भी विशिष्ट हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 10:45 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 01:33 PM (IST)
बदरीनाथ धाम के कपाट खुले, जानिए कपाट खुलने की मान्यता और रीति-रिवाज
बदरीनाथ धाम के कपाट आज विधि-विधान से प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खोल दिए गए है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Badinath Dham Open Today चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को वैदिक मंत्रोचार एवं शास्त्रोक्त विधि-विधान से प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खोल दिए गए है। आपको बता दें मंदिर के कपाट खोलने की पौराणिक मान्यता और पारंपरिक रीति-रिवाज भी विशिष्ट हैं।

पौराणिक मान्यता और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार बदरीनाथ कपाट खुलने से पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के आगे सभा मंडप के मुख्य द्वार पर परिसर में विधिवत तौर पर भगवान श्री गणेश और भगवान श्री बदरी विशाल का आह्वान कर धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने पूजा शुरू की। जिन चाबियों से द्वार के ताले खोले जाते हैं, पहले उन चाबियों की पूजा अर्चना की जाती है। पहला ताला टिहरी महाराजा के प्रतिनिधि के रूप में राजगुरु नौटियाल के द्वारा खोला जाता है। उसके बाद मंदिर के हक हकूकधारी मेहता थोक व भंडारी थोक के प्रतिनिधियों द्वारा ताले खोले जाते हैं। 

कपाट खुलने से पूर्व जिन चाबियों की पूजा होती है उनमें से गर्भ गृह के द्वार पर लगे ताले की चाबी मंदिर प्रबंधन द्वारा डिमरी पुजारी भितला बड़वा को सौंपी जाती है और गर्भ गृह का ताला भितला बड़वा के द्वारा खोला जाता है। इस तरह गर्भगृह द्वार खुलते ही विधिवत तौर पर भगवान के कपाट छह माह के यात्रा काल के लिए खुल जाते हैं। कपाट खुलते ही सभी व्यक्तियों को भगवान बदरी विशाल की अखंड ज्योति के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त होता है। गर्भ गृह में मूर्ति पर लगने का अधिकार केवल मंदिर के मुख्य पुजारी रावल को ही होता है।

बदरीनाथ मंदिर के शीर्ष पर विराजे स्वर्ण कलश

कपाट खुलने से एक दिन पूर्व बदरीनाथ धाम में मंदिर व सिंहद्वार के शीर्ष पर पांच स्वर्ण कलश लगा दिए गए। परंपरा के अनुसार यह रस्म मेहता थोक के हक-हकूकधारियों ने निभाई। अब शीतकाल के लिए कपाट बंद होने तक ये स्वर्ण कलश मंदिर की शोभा बढ़ाएंगे। इसके अलावा मंदिर के ऊपर धर्मध्वजा भी लगा दी गई है। बदरीनाथ धाम की परंपरा के अनुसार कपाट खुलने से पूर्व सिंहद्वार के ऊपर तीन, गर्भगृह के ऊपर एक और महालक्ष्मी मंदिर के ऊपर एक स्वर्ण कलश लगाया जाता है। कपाटबंदी के दिन उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अधिकारियों की देख-रेख में मेहता थोक के हक-हकूकधारी इन स्वर्ण कलश को उतारकर मंदिर के भंडार में जमा कराते हैं। सोमवार को मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी के बदरीनाथ पहुंचने पर परंपरानुसार ये स्वर्ण कलश देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने मेहता थोक के धरिया (बारीदार अथवा हक-हकूकधारी) जयदेव मेहता, विजय मेहता, जितेंद्र मेहता आदि सौंपे।

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