सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया डाकपत्थर का डीयर पार्क
विकासनगर जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते डाकपत्थर का बेहद खूबसूरत डीयर पार्क बदहाल हो चुका है।
संवाद सहयोगी, विकासनगर: जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते डाकपत्थर का बेहद खूबसूरत डीयर पार्क अपना अस्तित्व खो चुका है। कभी डाकपत्थर आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र यह पार्क अब बदहाली का शिकार है। उत्तराखंड गठन के बाद से ही लगभग सभी सरकारों ने नए पर्र्यटक स्थल को विकसित करने की दिशा में दावे किये, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण डाकपत्थर में बने डीयर पार्क को बचाए रखने में किसी ने कोई रुचि नहीं दिखाई।
लगभग 40 वर्ष पूर्व डाकपत्थर बैराज और शक्तिनहर के निर्माण के समय नहर के किनारे पर एक डीयर पार्क विकसित किया गया था। डीयर पार्क में कई हिरन भी उस समय रखे गए। क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों को डीयर पार्क और उसमें मौजूद हिरन खूब आकृषित करते थे। उत्तराखंड बनने के बाद पार्क में मौजूद हिरनों को देहरादून शिफ्ट करने की कार्रवाई शुरू हुई। एक के बाद एक सभी हिरन देहरादून मालसी डीयर पार्क में शिफ्ट कर दिए गए। इसके बाद से पार्क का रखरखाव भी बंद कर दिया गया। इस उपेक्षा के चलते पार्क घनी झाड़ियों में तब्दील हो गया। मौजूदा समय में पार्क का मुख्यद्वार और आसपास का क्षेत्र खंडहर में तब्दील होकर रह गया है। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डाकपत्थर के पूर्व प्रधान सुबोध गोयल, पूर्व प्रधान और पछवादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा, सिचाई विभाग की कर्मचारी यूनियन के नेता जीशान अली का कहना है कि पर्यटन की ²ष्टि से डाकपत्थर बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। प्रदेश में समय-समय पर बनने वाली सरकारें यदि क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में काम करती तो यह प्रदेश का एक बेहतरीन पार्क बन सकता था। उनका कहना है कि सरकार को इस दिशा में कार्य करना चाहिए।
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डाकपत्थर वास्तव में प्राकृतिक सौंद्रर्य से परिपूर्ण स्थान है। पर्यटन की ²ष्टि से इस क्षेत्र का विकास किया जाना चाहिए। इस संबंध में मुख्यमंत्री और प्रदेश के पर्यटन मंत्री से मिलकर वार्ता की जाएगी।
मुन्ना सिंह चौहान, विधायक विकासनगर।