चंपावत के आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी निलंबित, जानिए वजह
शासन ने लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में न्यायिक बंदीगृह में न्यायिक अभिरक्षा में रहे आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डॉ सुरेश कुमार कश्यप को निलंबित कर दिया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। शासन ने लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम का उल्लंघन करने के आरोप में नौ जनवरी से 15 जनवरी 2018 तक न्यायिक बंदीगृह में न्यायिक अभिरक्षा में रहे राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय, चल्थी, चंपावत में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेश कुमार कश्यप को निलंबित कर दिया है। शासन ने उनसे अभी तक नियमविरुद्ध प्राप्त किए गए वेतन की वसूली भी किश्तों में एक साल के भीतर करने के निर्देश दिए हैं। निलंबन अवधि में डॉ. सुरेश कुमार, निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं, देहरादून कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।
चंपावत, चल्थी के जिला एलोपैथिक अस्पताल में तैनात डॉ. सुरेश कुमार कश्यप को जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित टीम ने एक अल्ट्रासाउंड क्लीनिक में लिंग परीक्षण के संबंध में पकड़ा था। इसके बाद उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में छह दिन तक न्यायिक बंदीगृह लोहाघाट में रखा गया। बावजूद इसके शासन को इसकी जानकारी नहीं दी गई।
नियमानुसार यदि कोई सरकारी कर्मचारी 24 घंटे से अधिक समय जेल में बिताता है तो उसे निलंबित कर दिया जाता है, मगर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। कुछ माह पूर्व यह प्रकरण शासन के संज्ञान में आया था लेकिन विभिन्न कारणों के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में विभाग द्वारा भेजी गई फाइल पर उच्च स्तर से अनुमोदन नहीं मिल रहा था।
इस दौरान डॉ. सुरेश कुमार कश्यप लगातार अपना वेतन ले रहे थे। कुछ समय पूर्व एक बार फिर यह प्रकरण शासन में आया। इस पर सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग आरके सुधांशु ने उन्हें निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं। उनकी ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि प्रकरण शासन को विलंब से प्राप्त हुआ। ऐसे में उनके जेल जाने के समय से ही उन्हें निलंबित मानते हुए इस अवधि में लिए गए वेतन की वसूली नियमानुसार एक वर्ष के भीतर की जाएगी। निलंबित की अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि दी जाएगी।
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