Ayodhya Ram Mandir: सीएम ने 1989 के दौर को किया याद, बोले- भेष बदलकर लिया था रामजन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा

Ayodhya Ram Mandir मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि रामजन्मभूमि आंदोलन में उन्होंने भेष बदलकर हिस्सा लिया था।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 02:21 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 09:45 PM (IST)
Ayodhya Ram Mandir: सीएम ने 1989 के दौर को किया याद, बोले- भेष बदलकर लिया था रामजन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा
Ayodhya Ram Mandir: सीएम ने 1989 के दौर को किया याद, बोले- भेष बदलकर लिया था रामजन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा

देहरादून, जेएनएन। Ayodhya Ram Mandir अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण भूमि पूजन को लेकर उत्तराखंड के कोने-कोने में त्योहार सा नजारा नजर आ रहा है। जगह-जगह पूजा और हवन किए जा रहे हैं। मंदिर, गुरुद्वारों में दिए जगमगा रहे हैं और जय श्री राम की ही गूंज सुनाई दे रही है। एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई जा रही है। इस बीच उस दौर को भी याद किया याद किया जा रहा है, जब उत्तराखंड के कई लोग रामजन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा बने थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आंदोलन से जुड़ी कई बातों को साझा किया। उन्होंने बताया कि आंदोलन के दौरान जब पुलिस सबके पीछे लगी हुई थी, तो उन्होंने भेष बदलकर आंदोलन में हिस्सा लिया। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि लंबे संघर्ष के बाद आज अयोध्या में राममंदिर का शिलान्यास हुआ। आज सैकड़ों ऐसे परिवार होंगे अयोध्या और देश में जो तबसे अखंड रामायण का पाठ और राम धुन कर रहे हैं कि वहां पर राममंदिर बने। उन्होंने बताया कि हजारों लोगों ने इसके लिए बलिदान दिया और संघर्ष किया। उन सबका सपना आज स्वरूप ले रहा है। 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान वह मेरठ में थे। उस दौरान रामजन्मूमि आंदोलन में शामलि लोगों के पीछे पुलिस और गुप्तचर लगे हुए थे। ऐसे में मैं उस समय एक पुलिस इंस्पेक्टर के घर में ही वेश बदलकर रहता था। वहीं, से इस आंदोलन को हमने चलाया था। हजारों लोग इसी तरह आंदोलन में शामिल रहे।    

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18 किमी पैदल चलकर श्रीराम मंदिर निर्माण के लाए शिला 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि 1989 में जब श्रीराम मंदिर के लिए आंदोलन चल रहा था, तब लोगों से श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सवा रुपये एकत्रित किये जाते थे, कि श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए एक पत्थर आपके नाम का भी लग जाएगा। उत्तरकाशी के दूरस्थ गांव लिवाड़ी-खिताड़ी से 18 किमी पैदल चलकर लोग श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए शिला लाए। श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन से ऐसे लोगों की आत्मा को शांति मिलेगी। वरिष्ठ पत्रकार और प्रचारक मोरोपंतजी पिंगले, अशोक सिंघल, महंत अवैध्यनाथ और कोठारी बंधुओं ने इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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