महिलाओं की प्रेरणा बनी आतिया साबरी की हिम्मत, जानिए उनकी कहानी

हरिद्वार के लक्सर निवासी आतिया साबरी ने तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद कर उसे कोर्ट में चुनौती दी और विजयश्री हासिल की।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 04:20 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 08:30 PM (IST)
महिलाओं की प्रेरणा बनी आतिया साबरी की हिम्मत, जानिए उनकी कहानी
महिलाओं की प्रेरणा बनी आतिया साबरी की हिम्मत, जानिए उनकी कहानी

देहरादून, अनूप कुमार। विडंबना ही है कि 21वीं सदी में महिलाओं को समानता के अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। बावजूद इसके यह उनका हौसला और हिम्मत है कि उन्होंने पुरुषवादी वर्चस्व से लोहा लेकर लंबे संघर्ष के बाद अपना लक्ष्य हासिल कर लिया। ऐसी ही महिला है लक्सर की आतिया साबरी। मुस्लिम महिलाओं को समानता का हक दिलाने के लिए आतिया ने न सामाजिक बहिष्कार की परवाह की और न ही धमकियों की। 'तीन तलाक' के खिलाफ आवाज बुलंद कर उसे कोर्ट में चुनौती दी और विजयश्री हासिल की। 

लक्सर क्षेत्र के सुल्तानपुर इलाके की रहने वाली आतिया अपने संघर्ष को यादकर जज्बाती हो जाती हैं। वह बताती हैं कि उनका निकाह सुल्तानपुर के ही वाजिद अली से 25 मार्च 2012 को हुआ था। पहले दो वर्ष में ही दो संतानें पुत्रियां (सादिया और सना) हुईं। आतिया के अनुसार निकाह के बाद से ही दहेज की मांग शुरू कर दी गई, बेटियों के पैदा होने बाद जुल्म बढ़ने लगे।

इस दौरान जहर देने की कोशिश के साथ ही मारपीट भी की गई। दोनों ही मामलों में उन्होंने पति सहित ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया। वर्ष 2016 में पति वाजिद अली ने 10 रुपये के स्टांप पेपर पर तीन बार तलाक लिखकर दारूल उलूम देवबंद से फतवा हासिल किया और उसकी फोटो कापी आतिया के भाई मोहम्मद रिजवान के आफिस में किसी के हाथ फिंकवा दिया। बस यहीं से आतिया के सब्र का पैमाना छलकने लगा। 

उच्च शिक्षा प्राप्त (डबल एमए) आतिया साबरी ने अपने हक के लिए संघर्ष करने की ठान ली। आतिया कहती हैं कि पवित्र कुरान में भी कहीं नहीं है कि एक साथ तीन तलाक बोलकर अपनी शरीक-ए-हयात को छोड़ा जा सकता है। कुछ लोग इसकी आड़ में इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। आतिया इन दिनों अपने मायके में रह रही हैं। भविष्य की योजना पर चर्चा करते हुए वह कहती हैं कि कमजोर, शोषित और प्रताड़ि‍त खास कर तीन तलाक पीड़ि‍त महिलाओं की सहायता के लिए एक संस्था बनानी चाहती हैं। वह कहती हैं कि ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं शिक्षित हों और अपने अधिकारों को लेकर जागरूक रहें। 

मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी को सायरा बन रहीं नजीर

कहते हैं कि गलत के खिलाफ आवाज व स्वाभिमान की लड़ाई में हिम्मत व जज्बा होना चाहिए। डाक के जरिये तीन तलाक की रजिस्ट्री मिली तो सायरा बानो पर मानो पहाड़ जैसी मुसीबत आ गई हो। सायरा ने इसके खिलाफ जंग छेड़ी। केस वापस लेने की धमकियां भी मिलीं, मगर डिगी नहीं। मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से बचाने का जुनून कायम रहा। इसी का नतीजा था कि सुप्रीम कोर्ट में जंग जीती भी। यहीं नहीं, इस पर अध्यादेश भी लागू किया गया। अब सायरा का लक्ष्य हलाला व बहुविवाह को खत्म कराने का है। जिससे मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बेहतर हो सके। सायरा महिलाओं की नजीर बन गई हैं।

यह भी पढ़ें: इस मां के आंचल में सैकड़ों बेटियों को शिक्षा और संस्कार

यह भी पढ़ें: महिलाएं कर रही गुलाब की खेती, हो रही लाखों में आमदनी

chat bot
आपका साथी