देहरादून में श्रद्धापूर्वक मनाई आषाढ़ महीने की संग्रांद

पाराचिनार बिरादरी देहरादून ने अषाढ़ महीने की संग्रांद का कार्यक्रम हमेशा की तरह पूर्ण श्रद्धा पूर्वक कथा-कीर्तन के रूप में मनाया। प्रात गुरुद्वारा गुरु नानक अमृत दरबार मच्छी बाजार अंसारी मार्ग में हैड ग्रंथी साहिब एवं संगत ने मिलकर श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ किया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 01:51 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:30 PM (IST)
देहरादून में श्रद्धापूर्वक मनाई आषाढ़ महीने की संग्रांद
देहरादून में श्रद्धापूर्वक मनाई आषाढ़ महीने की संग्रांद।

जागरण संवाददाता, देहरादून: पाराचिनार बिरादरी ने असाढ़ संक्रांति श्रद्धापूर्वक मनाई। बिरादरी ने इस अवसर पर विशेष कथा-कीर्तन कर कोरोना के खात्मे की प्रार्थना भी की।

गुरुद्वारा गुरु नानक अमृत दरबार, मच्छी बाजार, अंसारी मार्ग में हेड ग्रंथी भाई गुरविंदर सिंह एवं संगत ने मिल कर सुखमनी साहिब का पाठ किया। हजुरी रागी भाई कुलदीप सिंह ने शबद असाढ़ तपंदा तिस लगे हरि नाह न जिना पास..का गायन कर संगत को निहाल किया। हेड ग्रंथी भाई गुरविंदर सिंह ने महीने की कथा करते हुए कहा कि असाढ़ का महीना उन मनुष्यों के लिए बहुत कष्टदायक हो जाता है, जिनके हृदय में प्रभु का नाम नहीं होता है। बिरादरी के संरक्षक पंडित अनूप चंदन ने कहा कि बिरादरी प्रति वर्ष यह कार्यक्रम श्रद्धा एवं उत्साहपूर्वक मनाती है। प्रधान प्रवीण कुकरेजा एवं सचिव अमरजीत सिंह कुकरेजा ने संगत का धन्यवाद करते हुए प्रभु में श्रद्धा रखने की अपील की। इस अवसर पर पंडित अनूप चंदन, प्रवीण कुकरेजा, अमरजीत सिंह कुकरेजा, अरविंद सिंह, बॉबी भटियानी, सुरेंद्र सुखीजा समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

सवर्ण आयोग का किया जाए गठन

देहरादून: अखिल भारतीय समानता मंच ने उत्तराखंड में सवर्ण आयोग के गठन की मांग की है। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा है।

मंच के अध्यक्ष श्यामलाल शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से 20 मार्च, 2018 को अनुसूचित जाति-जनजाति एक्ट-1989 का दुरुपयोग रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन कर प्रारंभिक जांच व अग्रिम जमानत की व्यवस्था को समाप्त कर दिया। इसके अतिरिक्त इस एक्ट के अंतर्गत शिकायत करने पर अनुसूचित जाति अत्याचार उत्पीडऩ योजना में शिकायतकर्ता को 85 हजार से आठ लाख, 25 हजार रुपये तक की अनुदान राशि दिए जाने की व्यवस्था की गई है। शिकायत झूठी पाए जाने पर भी अनुदान राशि वापस करने व झूठी शिकायत पर दंड का कोई प्रविधान न होने के कारण इस एक्ट का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक्ट अन्यायपूर्ण है। अनुरोध है कि सवर्ण समाज के साथ हो रहे अन्याय को रोकने व उनके हितों की सुरक्षा के लिए पूर्ण संवैधानिक अधिकार प्राप्त सुविधा संपन्न व शक्तिशाली सवर्ण आयोग का गठन किया जाए। ताकि सवर्ण की सुनवाई हो सके और उसे झूठे मुकदमे में न फंसाया जा सके।

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