मांगों को लेकर आशाओं ने किया सचिवालय कूच, धरने पर बैठी

मांगों को लेकर आशाओं ने सचिवालय कूच किया। पुलिस ने सचिवालय से पहले ही बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। इस पर आशाओं ने सड़क पर बैठकर धरना दिया। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने वार्ता में यह भरोसा दिया गया कि उनकी लंबित मांगों का जल्द समाधान किया जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 11:05 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 11:05 AM (IST)
मांगों को लेकर आशाओं ने किया सचिवालय कूच, धरने पर बैठी
सीटू से संबद्ध आशा कार्यकत्री यूनियन से जुड़ी आशाओं ने मंगलवार को सचिवालय कूच किया।

जागरण संवाददाता, देहरादून। अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर आशाओं के तेवर तल्ख बने हुए हैं। सीटू से संबद्ध आशा कार्यकत्री यूनियन से जुड़ी आशाओं ने मंगलवार को सचिवालय कूच किया। हालांकि, पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें सचिवालय से पहले ही रोक दिया। इससे नाराज आशाओं ने सड़क पर बैठकर धरना दिया। सिटी मजिस्ट्रेट ने मौके पर पहुंचकर आशाओं से बात की, पर उन्होंने सचिव से मिले बिना धरना समाप्त करने से इन्कार कर दिया। बाद में उनकी स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी से वार्ता कराई गई। वार्ता में यह भरोसा दिया गया कि उनकी लंबित मांगों का जल्द समाधान किया जाएगा।

आशाएं पिछले 51 दिन से आंदोलन पर हैं। इस दौरान वह विधानसभा, सचिवालय व सीएम आवास कूच कर चुकी हैं। नौ अगस्त को उनकी वार्ता स्वास्थ्य सचिव से भी हुई थी, जिनमें कुछ मांगों पर सहमति बनी थी। बाद में एनएचएम की मिशन निदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक से भी आशाओं की वार्ता हुई। हालांकि, आशाओं का कहना है कि वार्ता में जिन बिंदुओं पर सहमति बनी थी, उन पर अब तक अमल नहीं किया गया है। संगठन की प्रांतीय अध्यक्ष शिवा दुबे ने कहा कि वार्ता में छह-सात मांगों पर सहमति बनने के बाद भी अब तक शासनादेश जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि आशाओं के मानदेय में प्रतिमाह चार हजार रुपये की बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

वहीं, खटीमा में भी सीएम से हुई वार्ता में मांगों का समाधान करने के लिए बीस दिन का समय दिया था। उन्होंने कहा कि आशा को भी सरकारी सेवक का दर्जा देकर न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये किया जाए। कोविड कार्य में लगी आशाओं को 50 लाख का बीमा व स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए। कोरोनाकाल में मृतक आशाओं के परिवार को पचास लाख का मुआवजा व चार लाख की अनुग्रह राशि, उड़ीसा की तरह मृतकों के परिवारों को विशेष मासिक भुगतान, सेवा के दौरान दुर्घटना, हार्ट अटैक या बीमारी की स्थिति में न्यूनतम 10 लाख का मुआवजा, आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार आदि की भी मांग की।

बेरोजगार आयुर्वेदिक नर्स 23 सितंबर से करेंगी आंदोलन

प्रांतीय बेरोजगार आयुर्वेदिक नर्सेज संगठन ने आयुष व आयुष शिक्षा विभाग के अंतर्गत नर्सिंग संवर्ग के ढांचे के पुनर्गठन व नर्सों के पद सृजित कर नियुक्ति की मांग की है। इन मांगों पर कार्रवाई न होने पर 23 सितंबर से आंदोलन की चेतावनी दी है। निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं को इस संदर्भ में एक पत्र भी भेजा है। प्रदेश अध्यक्ष अरुणा ने कहा कि शासन व विभाग से लंबे समय से नर्सिंग संवर्ग के ढांचे के पुनर्गठन व सीसीआइएम के मानकों के अनुसार आयुर्वेदिक नर्सो के पद सृजित कर नियुक्ति की मांग की जा रही है। इस संबंध में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, आयुष मंत्री, आयुष सचिव व अधिकारियों को कई ज्ञापन भेजे गए, पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। न अभी तक कोई ठोस आश्वासन ही मिल पाया है। ऐसे में तमाम आयुर्वेदिक नर्स हताश हैं। अपना कोर्स पूरा करने के 4-5 साल बाद भी बेरोजगार हैं। ऐसे में अब सिवाय आंदोलन के कोई रास्ता नहीं बचा है।

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