किसानों की मेहनत पर आर्मी वर्म का कहर, जानें-क्या है आर्मी वर्म औक क्या करें उपाय

ऋषिकेश के श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र में इन दिनों आर्मी वर्म कीट फसलों पर कहर ढा रहा है। किसानों की शिकायत पर उन्हें कीटनाशक के छिड़काव की जानकारी दी।

By Edited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 03:01 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 01:17 PM (IST)
किसानों की मेहनत पर आर्मी वर्म का कहर, जानें-क्या है आर्मी वर्म औक क्या करें उपाय
किसानों की मेहनत पर आर्मी वर्म का कहर, जानें-क्या है आर्मी वर्म औक क्या करें उपाय

ऋषिकेश, जेएनएन। हरियाणा और दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों में जहां इन दिनों टिड्डी किसानों की दुश्मन बनी हुई हैं। वहीं, ऋषिकेश के श्यामपुर न्याय पंचायत क्षेत्र में इन दिनों आर्मी वर्म कीट फसलों पर कहर ढा रहा है। किसानों की शिकायत पर कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने क्षेत्र में पहुंचकर किसानों को कीटनाशक के छिड़काव की जानकारी दी।

श्यामपुर न्याय पंचायत में इन दिनों किसानों को अपनी दलहन और मक्की की फसल को बचाना भारी पड़ रहा है। यह कीड़ा फसलों को तेजी से नष्ट कर रहा है, जिससे किसान परेशान हैं। स्थानीय कृषक भगवान सिंह नेगी ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ भूमि पर मक्का और उड़द की फसल बोई थी। पर पिछले कुछ दिनों से कीटों ने फसल को चट कर दिया है। स्थित यह हो गई है कि दलहन की फसल को काटने के बजाय अब ट्रैक्टर से जोतकर कम्पोस्ट के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। दलहन वाले खेत में अब धान की रोपाई का निर्णय लिया है। 

किसानों की सूचना पाकर मंगलवार को कृषि विभाग का जांच दल गांव में पहुंचा। जांच के बाद विशेषज्ञों ने पाया कि जो कीट फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है, वह आर्मी वर्म है, जिसे सुंडी के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान कृषि और भूमि संरक्षण अधिकारी अभिलाषा भट्ट ने कृषकों को कीटनाशकों के छिड़काव की भी जानकारी दी। इस दौरान समाजसेवी विनोद जुगलान विप्र, विकास खण्ड डोईवाला की सहायक कृषि अधिकारी इन्दु गोदियाल, सहायक कृषि अधिकारी चमन लाल असवाल, रायपुर इकाई की अपर सहायक अभियन्ता नीलम बड़वाल, कृषक चंदन सिंह, विजय सिंह, तेज प्रकाश सिंह, अतर सिंह आदि मौजूद रहे।
क्या है आर्मी वर्म, क्या करें उपाय 
आर्मी वर्म एक घातक कीट है, जो अपने जीवनकाल में दो हजार किमी तक कि दूरी तय कर लेता है। फसलों के लिए यह कीट गंभीर और हानिकारक है। कृषि और भूमि संरक्षण अधिकारी अभिलाषा भट्ट ने बताया कि इस घातक कीट से फसलों के बचाव के लिए इमामी कंटीन बैंजोएट चार ग्राम प्रति दस लीटर या स्पिनोसाड तीन मिली प्रति दस लीटर के हिसाब से छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा दस किलोग्राम चावल के चोकर में दो किलोग्राम गुड़ तीन लीटर पानी में तीन सौ पचास मिली लीटर मोनो प्रोटोफास का घोल बनाकर छिड़काव करने पर भी अच्छे परिणाम आते हैं। उन्होंने बताया कि हर बार एक ही कीट नाशक का छिड़काव न करें, बल्कि कीटनाशकों का बदल बदल कर प्रयोग करें ताकि कीटों की क्षमता कमजोर हो सके।
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