पुरातत्व विभाग का फूंका पुतला, विरोध प्रदर्शन

चकराता सोमवार को पुरातत्व विभाग की मनमानी से नाराज जौनसार-बावर जनकल्याण विकास समिति ने पुतला फूंकर विरोध प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 07:44 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 07:44 PM (IST)
पुरातत्व विभाग का फूंका पुतला, विरोध प्रदर्शन
पुरातत्व विभाग का फूंका पुतला, विरोध प्रदर्शन

संवाद सूत्र, चकराता: सोमवार को पुरातत्व विभाग की मनमानी से नाराज जौनसार-बावर जनकल्याण विकास समिति ने लाखामंडल में विरोध-प्रदर्शन कर पुरातत्व विभाग का पुतला दहन किया। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में की जा रही खुदाई से भड़के ग्रामीणों ने केंद्र व राज्य सरकार से जनहित में पुरातत्व विभाग को हनोल व लाखामंडल मंदिर से हटाने की मांग की। कहा कि मंदिर में पुरातत्व विभाग की दखलंदाजी के चलते जौनसारी जनजाति आदिवासी समाज के ग्रामीणों के परंपरागत अधिकार व हित प्रभावित हो रहे हैं।

जौनसार-बावर के प्रमुख धाम श्री महासू देवता मंदिर हनोल में पुरातत्व विभाग ने मंदिर प्रबंधन समिति व स्थानीय ग्रामीणों को विश्वास में लिए बगैर मनमाने ढंग से परिसर की खुदाई कर उसे तीन फुट नीचे गहरा कर दिया। इससे नाराज जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों ने पूर्व में अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त की थी। सोमवार को मामले में जौनसार-बावर जनकल्याण विकास समिति की अध्यक्ष बचना शर्मा की अगुवाई में स्थानीय ग्रामीणों ने पुरातत्व विभाग के खिलाफ देवनगरी लाखामंडल में विरोध-प्रदर्शन कर पुतला दहन किया। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रही समिति अध्यक्ष बचना शर्मा ने कहा कि महासू मंदिर हनोल व शिव मंदिर लाखामंडल जौनसारी जनजाति आदिवासी समाज के कुल आराध्य देवता है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र महासू मंदिर हनोल में देवता के सदियों पुराने परिसर की खुदाई कर उसे गहरा करने से बरसात के समय जलभराव की स्थिति बनेगी। कहा कि जन भावना के विपरीत हो रहे मंदिर निर्माण कार्य से महासू मंदिर का प्राकृतिक व पौराणिक स्वरूप समाप्त हो जाएगा। पुरातत्व विभाग मंदिर संरक्षण के नाम पर जनजाति क्षेत्र की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि पुरातत्व विभाग हनोल व लाखामंडल मंदिर क्षेत्र के पास सौ मीटर की परिधि के भीतर आबादी क्षेत्र में पीढि़यों से बसे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति आदिवासी समाज और मंदिर की परंपरागत पूजा-पाठ व्यवस्था से जुड़े हक-हकूकधारियों, कारसेवकों को उनके जर्जर हो चुके पुश्तैनी भवनों का पुनर्निर्माण, मरम्मत कार्य व ग्रामीण विकास के अन्य कार्य नहीं करने देता। पुरातत्व विभाग मंदिर समिति के प्रयासों से हनोल में श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों की समस्या दूर करने को आधारभूत सुविधाएं जुटाने के लिए किए जा रहे तमाम विकास कार्य में अड़चन पैदा करता है। जबकि पुरातत्व विभाग स्वयं महासू मंदिर के प्राकृतिक व पौराणिक स्वरूप को बदल कर बेरोकटोक निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है। मंदिर क्षेत्र में पुरातत्व विभाग की दखलअंदाजी व दोहरे मापदंड अपनाने से स्थानीय ग्रामीणों के परंपरागत अधिकार एवं हित प्रभावित हो रहे हैं। जिससे स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। समिति ने केंद्र व राज्य सरकार से महासू मंदिर के प्राचीन स्वरूप के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करने और मंदिर की परंपरागत व्यवस्था से जुड़े जनजाति वर्ग के स्थानीय ग्रामीणों के अधिकार एवं हितों की सुरक्षा के लिए जनहित में महासू मंदिर हनोल व शिव मंदिर लाखामंडल से पुरातत्व विभाग को हटाने की मांग की। कहा राज्य के विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री पुरातत्व विभाग के पास नहीं है। ऐसे में जनजाति क्षेत्र के लोक देवता महासू मंदिर हनोल व लाखामंडल मंदिर में पुरातत्व विभाग का अनावश्यक हस्तक्षेप समाप्त किया जाए। पुतला दहन व प्रदर्शन के दौरान समिति अध्यक्ष बचना शर्मा, केशवराम शर्मा, बूटाराम, महिमानंद, लीला देवी, संतराम, अमित चौहान, प्रमिला, ओम प्रकाश, ताजी राम बहुगुणा, शीला देवी, तोताराम, नारायण शर्मा, प्यारो, पीरु आर्य आदि शामिल रहे।

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