नाराज आशाएं रविवार तक नहीं करेंगी काम, दी चेतावनी
लंबे समय से अपनी लंबित मांगों का समाधान नहीं होने से नाराज आशाओं ने शुक्रवार से रविवार तक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है।
देहरादून, जेएनएन। लंबित मांगों का समाधान नहीं होने पर आशा कार्यकर्ताओं ने हड़ताल की चेतावनी दी है। उनकी हड़ताल से प्रदेश में डेंगू फैलाने वाले मच्छर के लार्वा की पहचान व उसे नष्ट करने के लिए चलने वाला अभियान प्रभावित होगा, क्योंकि इस अभियान में घर-घर जाकर लार्वा की पहचान व सर्वे करने का जिम्मा उन्हीं के पास है। अभियान में शामिल आशाएं डोर टू डोर अभियान के तहत डेंगू मच्छर के लार्वा की पहचान कर उसको नष्ट करती हैं। साथ ही डेंगू से बचाव के बारे में जानकारी भी देती हैं, लेकिन पिछले लंबे समय से अपनी लंबित मांगों का समाधान नहीं होने से नाराज आशाओं ने शुक्रवार से रविवार तक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है।
आशा कार्यकत्री एसोसिएशन की अध्यक्ष शिवा दुबे ने बताया कि सीटू के बैनर तले वह तीन दिन हड़ताल पर रहेंगी। कहा कि सरकार लगातार उनके साथ भेदभाव कर रही है। केंद्र से मिले छह हजार में से तीन हजार रुपये नहीं दिए गए हैं, जबकि अन्य मांगों पर भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सेमेस्टर की परीक्षा कराए जाने का विरोध
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) ने स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा कराए जाने का विरोध किया है। एनएसयूआइ के वरिष्ठ नेता विकास नेगी ने आरोप लगाया कि एक सितंबर से स्नातक और स्नातकोत्तर के अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं कराई जानी हैं। ये परीक्षाएं ऐसी स्थिति में कराई जा रही हैं, जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में परीक्षा करवाना छात्र-छात्राओं के जीवन से खिलवाड़ है। एनएसयूआइ ने मांग की कि जल्द से जल्द केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय परीक्षा कराने का फैसला वापस ले। विरोध करने वालों में अजय रावत, प्रकाश नेगी, उज्ज्वल कपिल कुमार, आशीष सक्सेना आदि छात्र मौजूद रहे।
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