एम्बुलेंस ड्राइवर मरीज, अस्पताल और जीवन के बीच बने सेतु
एम्बुलेंस ड्राइवर मरीज-अस्पताल-जीवन के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं। यदि एम्बुलेंस ड्राइवर ने समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया तो मरीज का जीवन बचने के आसार बढ़ जाते हैं। यह कहना है दून अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर के रूप में सेवा दे रहे विनोद चंद का।
जागरण संवाददाता, देहरादून। कोरोनाकाल में एम्बुलेंस ड्राइवर मरीज-अस्पताल-जीवन के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं। यदि एम्बुलेंस ड्राइवर ने समय पर मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया तो मरीज का जीवन बचने के आसार कई गुना बढ़ जाते हैं। यह कहना है दून अस्पताल में एम्बुलेंस ड्राइवर के रूप में सेवा दे रहे विनोद चंद का।
विनोद पिछले 16 सालों से दून अस्पताल में एम्बुलेंस चालक के रूप में सेवा दे रहे हैं। उनका कहना है कि पूरे कॅरियर में कभी ऐसी परिस्थिति नहीं देखी, जैसी इस कोरोनाकाल में देखने को मिल रही है। वह पहले पूरे दिनभर में एक या दो मरीजों को ही अस्पताल पहुंचाते थे, लेकिन आजकल प्रतिदिन आठ घंटे की ड्यूटी में सात से आठ मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं।
वहीं, जहां पहले हफ्ते में किसी शव को उसके स्वजनों को सौंपना होता था, अब एक दिन में ही चार-पांच तो कभी आठ शव तक श्मशान घाट पहुंचाने पड़ रहे हैं। कई दफा तो खुद मरीज को एम्बुलेंस में रखना पड़ता है। जिससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी के चलते पिछले एक साल से परिवार से दूरी बनाई हुई है। जिससे कम से कम परिवार सुरक्षित रह सके। विनोद ने बताया कि पहले सेना में थे, वहीं पर खुद को बुरे हालातों के लिए मजबूत बना लिया था। लेकिन, कभी ऐसा मंजर देखने को मिलेगा सोचा नहीं था। इस संकट में वह हर मरीज को अपना समझकर सेवा कर रहे हैं।
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