AIIMS Rishikesh: एम्स ऋषिकेश में पहली बार मरीज को बेहोश किए बिना हुई कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी

एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने एक मरीज को बेहोश किए बिना सफल अवेक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी करने में सफलता हासिल की है। जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के चिन्यालीसौड़ निवासी 30 वर्षीय युवक लंबे समय से सीने में भारीपन और असहनीय दर्द की समस्या से जूझ रहा था।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 02:27 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:39 PM (IST)
AIIMS Rishikesh: एम्स ऋषिकेश में पहली बार मरीज को बेहोश किए बिना हुई कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी
ऋषिकेश में यह अपने आप में इस तरह की पहली सर्जरी है।

जागरण संवाददाता,ऋषिकेश: AIIMS Rishikesh एम्स ऋषिकेश के चिकित्सकों ने एक मरीज को बेहोश किए बिना सफल अवेक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी करने में सफलता हासिल की है। ऋषिकेश में यह अपने आप में इस तरह की पहली सर्जरी है। यह मरीज चेस्ट कैविटी के अंदर ट््यूमर की समस्या से पीडि़त था। इलाज के बाद अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। मरीज का पूरा उपचार आयुष्मान योजना के तहत निश्शुल्क किया गया।

जिला उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ निवासी एक 30 वर्षीय युवक लंबे समय से सीने में दर्द की समस्या से जूझ रहा था। करीब तीन महीने पहले जांच कराने के बाद पता चला कि उनके सीने में दिल के ठीक ऊपर ट्यूमर बन गया है। एम्स ऋषिकेश में विभिन्न परीक्षणों के बाद कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के प्रमुख वरिष्ठ सर्जन डा. अंशुमान दरबारी ने बताया कि उन्हें थाइमस ग्रंथि का थाइमोमा ट््यूमर है। उसका दिल और उसका आकार धीरे-धीरे बढ़ रहा है।

डा. दरबारी ने बताया कि आम तौर पर पास के महत्वपूर्ण अंगों के कारण छाती के भीतर एक ट््यूमर को बायोप्सी करना संभव और खतरनाक नहीं है। इसलिए, पूर्ण निदान के लिए रोगी की सहमति के बाद अवेक थोरैसिक सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। अत्याधुनिक तकनीक की इस हाई रिस्क सर्जरी में मरीज को पहले दर्द रहित कर और फिर स्टर्नल की हड्डी काटकर बेहोश किए बिना दिल के ऊपर 10 बाई 07 सेंटीमीटर के ट््यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया। इस सर्जरी में करीब दो घंटे का समय लगा और मरीज को चार दिन अस्पताल में रखने के बाद अब छुट्टी दे दी गई है। सर्जरी करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम में डा. अंशुमान दरबारी, डा. राहुल शर्मा और वरिष्ठ एनेस्थेटिस्ट डा. अजय कुमार शामिल थे। एम्स के निदेशक प्रो. अरङ्क्षवद राजवंशी ने इस जटिल सर्जरी को करने वाले चिकित्सकों की सराहना की।

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क्या है कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी

डा. दरबारी ने बताया कि अवेक कार्डियो-थोरेसिक सर्जरी की शुरुआत अमेरिका में वर्ष 2010 में हुई थी। भारत में अभी यह सुविधा दक्षिण भारत के चुङ्क्षनदा प्रमुख अस्पतालों में ही उपलब्ध है। इस तकनीक में एक विशेष एपिड्यूरल तकनीक से मरीज की रीढ़ की हड्डी में लोकल एनेस्थेटिक इंजेक्शन दिए जाते हैं। इससे केवल उसकी गर्दन और छाती स्थानीय रूप से असंवेदनशील और दर्द रहित हो जाती है। मध्य रेखा को काटकर छाती की सर्जरी, स्टर्नल की हड्डी पूरी तरह से दर्द रहित होने के बाद की जा सकती है। खास बात यह है कि सर्जरी की पूरी प्रक्रिया के दौरान मरीज पूरी तरह से होश में रहता है। एक सामान्य सर्जरी प्रक्रिया के दौरान, रोगी को सामान्य संवेदनाहारी दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में, वह संवेदनाहारी दवाओं के दुष्प्रभावों से भी बच जाता है। इस तकनीक से मरीज को लाइफ सपोर्ट की भी जरूरत नहीं होती है। इस तकनीक में रोगी की रिकवरी बहुत सहज और तेज हो जाती है।

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