हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद कार्मिकों को आधे वेतन का फैसला निरस्त, जानिए क्‍या है पूरा मामला

करोड़ों के घाटे के नाम पर रोडवेज निदेशक मंडल की ओर से कार्मिकों का वेतन आधा करने का फैसला हाईकोर्ट की नाराजगी व तल्ख टिप्पणी के बाद आखिरकार निदेशक मंडल की अध्यक्ष राधा रतूड़ी ने निरस्त कर दिया है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 07:10 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 07:10 AM (IST)
हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद कार्मिकों को आधे वेतन का फैसला निरस्त, जानिए क्‍या है पूरा मामला
गत पांच जुलाई को हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया था।

जागरण संवाददाता, देहरादून: करोड़ों के घाटे के नाम पर रोडवेज निदेशक मंडल की ओर से कार्मिकों का वेतन आधा करने का फैसला हाईकोर्ट की नाराजगी व तल्ख टिप्पणी के बाद आखिरकार निदेशक मंडल की अध्यक्ष राधा रतूड़ी ने निरस्त कर दिया। गत पांच जुलाई को हुई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया था। जिस पर रोडवेजकर्मी हड़ताल पर जाने को तैयार थे।

निदेशक मंडल के इस फैसले पर खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने भी कैबिनेट बैठक में नाराजगी व्यक्त की थी। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव डा. एसएस संधू की ओर से भरोसा दिया गया था कि वह वेतन आधा करने के फैसले को निरस्त करा देंगे। चूंकि, चार अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है, लिहाजा उससे एक हफ्ते पहले ही निदेशक मंडल का फैसला निरस्त कर दिया गया। रोडवेज वर्तमान में 520 करोड़ रुपये के घाटे में है। कोरोनाकाल में घाटा और बढ़ गया। नौबत यह आ गई कि वह वेतन देने की स्थिति में भी नहीं है। बीते एक वर्ष से सरकार से विभिन्न मद में मिली धनराशि के जरिये रोडवेज प्रबंधन वेतन दे पाया है।

बीते दिनों ही मुख्यमंत्री की ओर से 34 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर होने के बाद रोडवेज कार्मिकों को मार्च का वेतन मिला, जबकि अप्रैल का वेतन मंगलवार को जारी किया गया। अब प्रबंधन पर तीन माह यानी मई, जून और जुलाई का वेतन लंबित बचा है। इसके साथ ही सेवानिवृत्त कार्मिकों का भुगतान भी लंबित है। रोडवेज में वेतन को लेकर हाईकोर्ट भी कड़े कदम उठा चुका है व सरकार को समाधान के आदेश दिए हुए हैं। इसी के अंतर्गत पांच जुलाई को रोडवेज के निदेशक मंडल ने घाटा समाप्त होने तक कार्मिकों का वेतन आधा करने का फैसला किया था। इसके साथ ही कर्मियों के बचत सहकारी ऋण खाते पर भी रोक लगाने का फैसला किया गया था। कर्मचारी संगठन ने इसके विरोध में बेमियादी हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया था।

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गत 14 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री ने रोडवेज के निदेशक मंडल के वेतन कटौती के फैसले पर नाराजगी जताई थी व इसके बाद कैबिनेट ने रोडवेज से जुड़े सभी फैसले लेने के लिए अधिकृत कर दिया था। तब परिवहन सचिव डा. रणजीत सिन्हा की ओर से हड़ताल पर जाने को तैयार कार्मिकों को यह कहकर मना लिया था कि वेतन में किसी तरह की कटौती नहीं होगी।

इसके बाद 20 जुलाई को जब हाईकोर्ट में जब रोडवेज के वेतन प्रकरण में सुनवाई हुई तो वेतन आधा करने के फैसले पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई एवं निदेशक मंडल के फैसले को मानवाधिकारों का हनन करार दिया था। मंगलवार को अपर मुख्य सचिव व रोडवेज निदेशक मंडल की अध्यक्ष राधा रतूड़ी ने वेतन कटौती का आदेश निरस्त कर दिया। सहकारी बचत ऋण सुविधा भी फिर बहाल कर दी गई है। हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद आधे वेतन का फैसला निरस्त

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