प्रशासन नहीं चाहता पानी का अवैध धंधा बंद हो, पढ़िए पूरी खबर

दून और प्रदेश के अन्य मैदानी क्षेत्रों को भूजल संकट से बचाने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उद्योग विभाग को पत्र लिख चुका है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 09:05 AM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 08:23 PM (IST)
प्रशासन नहीं चाहता पानी का अवैध धंधा बंद हो, पढ़िए पूरी खबर
प्रशासन नहीं चाहता पानी का अवैध धंधा बंद हो, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। जिन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन किया जा रहा है, वहां भूजल स्तर सालाना 20 सेंटीमीटर की दर से सरक रहा है। दून और प्रदेश के अन्य मैदानी क्षेत्रों को भूजल संकट से बचाने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व उद्योग विभाग को पत्र लिख चुका है। साथ ही संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर भविष्य में भूजल संकट के खतरे के प्रति आगाह किया जा चुका है। इसका कितना असर अधिकारियों पर पड़ा, इसका जीता जागता उदाहरण है राजधानी देहरादून। केंद्रीय भूजल बोर्ड के पत्राचार से इतर अवैध बोरवेल के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र पर आंखें मूंद ली गई हैं। इसकी पुष्टि आरटीआइ में मिला जिलाधिकारी कार्यालय का पत्र स्वयं करता है।

आरटीआइ में मिले दस्तावेजों के अनुसार जिलाधिकारी कार्यालय ने उपजिलाधिकारी सदर को प्रकरण सरका दिया और यहां से जल संस्थान के महाप्रबंधक को पत्र भेज दिया गया। महाप्रबंधक का पता भी राजपुर रोड लिखा गया है, जबकि महाप्रबंधक नेहरू कॉलोनी स्थित कार्यालय में बैठते हैं। इस तरह गोलमोल की गई यह कार्रवाई एक तरह से डंप हो गई है। जबकि आरटीआइ में ही यह सामने आया है कि 'कुमाऊं तथा गढ़वाल (संग्रह, संचय तथा वितरण) अधिनियम-1975 की धारा 06 में उल्लिखित प्रावधानों के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर अध्यादेश 1975Ó के अधीन परगनाधिकारी (उपजिलाधिकारी) की अनुमति के बिना किसी भी जल स्रोत से पानी नहीं निकाल सकेगा। इससे स्पष्ट है कि प्रशासन को ही अवैध बोरवेल पर कार्रवाई का अधिकार है। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से कार्रवाई किए बिना जल संस्थान को प्रकरण भेज देना बताता है कि प्रशासन ही पानी के अवैध धंधे को बंद नहीं होने देना चाहता।

प्रशासन यह भी नहीं जानता कितना भूजल चूस रहे अवैध बोरवेल

जिला प्रशासन को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि अवैध बोरवेल कितना भूजल चूस रहे हैं और उससे भविष्य में क्या असर पड़ सकता है। क्योंकि प्रशासन ने तमाम स्तर पर प्रकरण के सामने आने के बाद भी कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। दूसरी तरफ प्रेमनगर क्षेत्र से विकासनगर के बीच में कई अवैध बोरवेल पकड़े जा चुके हैं और इसके बाद भी प्रशासन मौन साधे बैठा है।

ये अवैध बोरवेल/नलकूप आ चुके सामने

क्षेत्र----------------संख्या

प्रेमनगर------------02

कंडोली--------------01

सुद्धौवाला------------03

कोल्हूपानी----------03

पुलिस भी जिलाधिकारी के आदेश के इंतजार में

प्रेमनगर थाना क्षेत्र में अवैध बोरवेल को लेकर सोशल एक्शन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अजय नारायण शर्मा ने तहरीर दी थी। इस पर की गई कार्रवाई को लेकर जब उन्होंने प्रेमनगर थाने से आरटीआइ में जानकारी मांगी तो उन्हें वाजिब जवाब नहीं मिल पाया। इसके बाद अजय नारायण ने सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयुक्त सीएस नपलच्याल के नोटिस के जवाब में थाना प्रभारी ने बताया कि प्रकरण में जिलाधिकारी जांच कर रहे हैं, उनकी ओर से लिखित में आदेश प्राप्त होने के बाद मुकदमा दर्ज किया जाएगा। सूचना आयोग ने भी पुलिस के इस लिखित कथन को मान लिया, जबकि सच्चाई यह है कि जिलाधिकारी स्तर पर ऐसी कोई जांच गतिमान है ही नहीं। इसका भी खुलासा एक अन्य आरटीआइ में किया जा चुका है। 

सूचना आयोग में छह और अपील

पानी के अवैध धंधे को लेकर प्रशासन किस तरह चप्पी साधे बैठा है, इसका उदाहरण वह छह और अपील हैं, जो सूचना आयोग में गतिमान हैं। उप जिलाधिकारी सदर व विकासनगर स्तर से उचित जानकारी न मिलने पर यह अपील की गई हैं।

मानवाधिकार आयोग की भी परवाह नहीं

पानी के अवैध कारोबार को लेकर अजय नारायण झा ने मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है। आयोग सदस्य अखिलेश चंद्र शर्मा इस मामले में रिपोर्ट तलब कर चुके हैं और इसके बाद भी अधिकारी पुराना ढर्रा छोडऩे को तैयार नहीं।

ये निचोड़ रहे अवैध रूप से भूजल

ऑटोमोबाइल वर्कशॉप, कार/टूव्हीलर वाशिंग सेंटर, निजी टैंकर संचालक, बड़ी आवासीय परियोजना, कमर्शियल कॉम्पलेक्स, होटल, बड़े शिक्षण संस्थान, होटल आदि।

बोले अधिकारी

एसए मुरुगेशन (जिलाधिकारी, देहरादून) का कहना है कि शिकायत का संज्ञान लिया जाएगा। यदि प्रकरण को उप जिलाधिकारी के माध्यम से जल संस्थान को भेजा गया है तो उस पर तत्काल रिपोर्ट तलब की जाएगी। पानी का अवैध धंधा करने वालों पर लगाम कसी जाएगी।

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