उत्‍तराखंड में कैदियों की सजा पूर्व रिहाई को बनेगा एक्ट, पढ़ि‍ए पूरी खबर

उत्तराखंड में अब कैदियों की समय पूर्व रिहाई को एक्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के एक्ट का सहारा लिया गया है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इसे धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 03:37 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 03:37 PM (IST)
उत्‍तराखंड में कैदियों की सजा पूर्व रिहाई को बनेगा एक्ट, पढ़ि‍ए पूरी खबर
उत्तराखंड में अब कैदियों की समय पूर्व रिहाई को एक्ट बनाया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में अब कैदियों की समय पूर्व रिहाई को एक्ट बनाया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश के एक्ट का सहारा लिया गया है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इसे धरातल पर उतारने की तैयारी चल रही है। इसमें विशेष परिस्थितियों में गंभीर अपराधों में सजा काट रहे कैदियों की रिहाई का भी प्रविधान है। हालांकि, इसका लाभ 80 साल की उम्र और 25 साल न्यूनतम कारावास की सजा काट चुके कैदियों को ही विशेष परिस्थिति में मिल सकेगा। प्रदेश में हर वर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर कैदियों की सजा माफ कर उनकी रिहाई की जाती है। अमूमन इनमें ऐसे कैदी शामिल होते हैं, जिनकी सजा समाप्त होने वाली होती है। गंभीर रूप से बीमार और जेल में अच्छे आचरण वाले कैदियों को भी रिहा किया जाता है। कैदियों की रिहाई के लिए प्रदेश में समय-समय पर शासनादेश होते रहे हैं। इनमें यह यह स्पष्ट प्रविधान है कि हत्या, दुराचार व अन्य संगीन अपराधों में बंद कैदियों की सजा को माफ नहीं किया जाएगा। 

कैदियों की रिहाई व पेरोल को लेकर कई बार सवाल भी उठते रहे हैं। कुछ समय पूर्व इसी तरह का एक मामला अदालत में भी पहुंचा था। इस पर अदालत ने कैदियों की रिहाई व पेरोल देने के मामले में अन्य प्रदेशों की भांति एक्ट बनाने को कहा था। इसके बाद शासन ने कैदियों की सजा माफ या सजा पूर्व रिहाई के लिए कुछ मानक तय किए थे। इसमें यह स्पष्ट किया गया कि केवल उन्हीं कैदियों की रिहाई की जाएगी, जिनके संबंध में जिलाधिकारी व एसएसपी की संस्तुति होगी।

ऐसे कैदियों की उम्र 60 साल से अधिक होनी चाहिए और गंभीर बीमारी से ग्रस्त कैदियों की रिहाई पर ही विचार किया जाएगा। शासन में हुई एक बैठक के बाद इन सभी व्यवस्थाओं के लिए एक एक्ट बनाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए उत्तर प्रदेश के एक्ट को ही यहां भी अंगीकृत करने का निर्णय लिया गया। अब इसे मूर्त रूप दिया जा रहा है। इसमें यह व्यवस्था की गई है कि 80 साल के ऐसे आजीवन कैद भोग रहे कैदी, जिन्होंने 12 साल की सजा काट ली हो उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। प्रतिबंधित श्रेणी के अपराध में पहले रिहाई का प्रविधान नहीं था अब इसमें भी परिस्थितियों के हिसाब से 80 साल के ऐसे कैदी जो 25 साल की सजा भुगत चुके हैं उनकी रिहाई पर विचार हो सकेगा।

यह भी पढ़ें-इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर नहीं होगी किसी की रिहाई

chat bot
आपका साथी