गंगा को विश्व धरोहर घोषित करवाने की सार्थक मुहिम , जानिए इस शिक्षक के बारे में

जब भी नाम गंगा शब्द का नाम आता है तो उसमें भारतीय सभ्यता और संस्कृति के सागर की अनुभूति होती है। भारतीय सभ्यता के इतिहास में गंगा की भूमिका अद्वितीय है। इसी के सुरम्य तट पर संस्कृतियों का विकास हुआ है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 07:16 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:11 PM (IST)
गंगा को विश्व धरोहर घोषित करवाने की सार्थक मुहिम , जानिए इस शिक्षक के बारे में
भारतीय सभ्यता के इतिहास में गंगा की भूमिका अद्वितीय है। इसी के सुरम्य तट पर संस्कृतियों का विकास हुआ है।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : जीवन दायिनी 'गंगा' शब्द जब भी आता है तो उसमें भारतीय गौरव, संस्कृति, सभ्यता के सागर की अनुभूति होती है। पोषक स्वरूपी गंगा के सुरम्य तट पर सदियों से कई संस्कृतियों का विकास हुआ है। आर्य, बौद्ध, शक, हूण और हिन्दू विचारधाराओं के सर्वोत्कृष्ट शिखरों का निर्माण गंगा तट पर हुआ है। विद्यापीठों, तीर्थों, ज्ञान-ध्यान केन्द्रों की लम्बी श्रृंखलाऐं आज भी गंगा तटीय क्षेत्रों पर अपनी ऐतिहासिक-समाजिक और मनोवैज्ञानिक कारकों के साथ जीवांत है।

इसके बावजूद भी हिमालय से निकलने वाली गंगा विश्व धरोहर घोषित नहीं हो पाई है। लेकिन भारतीय संस्कृति की ध्वज वाहक गंगा को विश्व धरोहर घोषित करवाने की मुहिम गंगा के मायके गंगोत्री से शिक्षक डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल ने शुरू की है। जिससे गंगा को अविरल, निर्मल और गंगा की जैव विविधता का संरक्षण किया जा सके। इसके लिए उन्होंने गंगा विश्व धरोहर मंच का गठन भी किया है।

राजकीय इंटर कालेज भंकोली उत्तरकाशी में तैनात शिक्षक शंभू प्रसाद नौटियाल ने गंगा की जैव विविधता को लेकर पीएचडी की हुई है। साथ ही गंगा के राष्ट्रीय, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक महत्व के बारे में भी अध्ययन किया है।

गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर भी शोध किया है। गंगा से खास आत्मियता होने के कारण डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल ने गंगा को विश्व धरोहर घोषित करने की मुहिम चला रहे हैं। यह मुहिम डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल ने 4 नवंबर को गंगोत्री धाम से शुरू की थी।

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इस मुहिम में गंगा को विश्व धरोहर घोषित हो के संकल्प लेने के साथ हिमालय की जैव विविधता एवं राष्ट्रीय नदी गंगा की सहायक धराओं के संरक्षण मिशन की शुरुआत की गई। जिसके बाद संस्कृत स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में गंगा स्वच्छता व जल साक्षरता पर विचार संगोष्ठी व छात्रों के लिए गठित गंगा क्लब का गंगा स्वच्छता कार्यक्रम और गंगा विश्व धरोहर मंच का गठन का प्रस्ताव रखा गया। 10 नंवबर 2021 राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पुरीखेत परिसर में जल साक्षरता एवं गंगा विश्व धरोहर पर संगोष्ठी आयोजित हुई। 15-17 नंवबर को हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के एनसीसी के छात्रों द्वारा गंगा घाटों पर गंगा स्वच्छता व जल साक्षरता पर कार्यक्रम तथा विश्वविद्यालय में कुल सचिव व कुलपति की उपस्थिति में हर्बल गार्डन में 210 औषधीय महत्व के पौधों का रोपण किया गया। 18 व 19 नवंबर को श्रीदेव सुमन विश्व विद्यालय ललित मोहन परिसर ऋषिकेश में गंगा विश्व धरोहर एवं जल साक्षरता पर संगोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम तथा रामझूला के आस-पास गंगा स्वच्छता पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित गया। 25 नवम्बर को उत्तरकाशी गंगा आरती स्थल पर गंगा विश्व धरोहर मंच के सदस्यों व संरक्षकों का सम्मान कार्यक्रम विचार संगोष्ठी आयोजित हुई। 28 नवंबर को पिट्स बीएड कालेज उत्तरकाशी में गंगा स्वच्छता व जल साक्षरता पर संगोष्ठी एवं गंगा विश्व धरोहर घोषित विषय पर निबंध प्रतियोगिता के साथ गंगा क्लब का गठन किया गया। डॉ. शंभू प्रसाद नौटियाल कहते हैं कि आगामी वर्ष 2022 में गंगा स्वच्छता व जल साक्षरता पर गंगा तटीय क्षेत्रों में संवाद कार्यक्रम व उत्तरकाशी से गंगा सागर तक 100 स्कूल तथा कालेजों में गंगा क्लब का गठन के साथ उनमें जैव विविधता का संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन स्थापित किए जायेंगे।

गंगा की जैवविविधता संरक्षण जरूरी

गंगा विश्व धरोहर मंच के संयोजक डा. शंभू प्रसाद नौटियाल कहते हैं कि हिमालय की चोटियों से निकली गंगा नदी के किनारों पर हजारों सालों से कई सभ्यताओं ने जन्म लिया है, लेकिन शहरीकरण व आबादी बढऩे से गंगा नदी पर बुरा प्रभाव पड़ा है। नदी के कई हिस्से बेहद प्रदूषित हो चुके है। गंगा संरक्षण का अभिप्राय हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक संपूर्ण जैवविविधता संरक्षण जरूरी है। इसके अलावा जलवायु, जमीन, खेती, हरियाली जीव-जन्तुओं और वनस्पतियां वे सब कुछ जो इस क्षेत्र को बचाए रखने के लिए जरूरी है। इससे व्यवसायी, किसान आदि जिनका जीना-मरना गंगा के साथ है, वे अपनी जीविका के लिए गंगा पर आश्रित हैं। उनका जीवन व अनुभव भी सुरक्षित रह सकेगा।

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