राजकीय शिक्षक संघ की कार्यकारिणी भंग होने पर मतभेद, जानिए क्‍या बोले पदाधिकारी

राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष की ओर से प्रांतीय कार्यकारिणी भंग करने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक से संयोजक मंडल गठित करने की मांग की गई है। इधर प्रांतीय महामंत्री ने उनके इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अकेले अध्यक्ष कार्यकारिणी भंग नहीं कर सकते।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 04:15 PM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 04:15 PM (IST)
राजकीय शिक्षक संघ की कार्यकारिणी भंग होने पर मतभेद, जानिए क्‍या बोले पदाधिकारी
राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को लेकर आए दिन नया विवाद पैदा हो रहा है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को लेकर आए दिन नया विवाद पैदा हो रहा है। संघ के पदाधिकारियों में अब संघ की कार्यकारिणी भंग होने को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं। प्रांतीय अध्यक्ष की ओर से प्रांतीय कार्यकारिणी भंग करने के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक से संयोजक मंडल गठित करने की मांग की गई है। इधर, प्रांतीय महामंत्री ने उनके इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अकेले अध्यक्ष कार्यकारिणी भंग नहीं कर सकते। इससे संघ की मान्यता पर संकट पैदा हो गया है।

पत्रकारों से वार्ता में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डा. सोहन सिंह माजिला ने कहा कि संघ के संविधान के अनुसार अध्यक्ष अकेले कार्यकारिणी भंग करने का फैसला नहीं ले सकते। इसके लिए कार्यकारिणी की सहमति जरूरी है। उन्होंने ब्लाक, जिले एवं मंडल की कार्यकारिणी गठित हुए बिना सीधा प्रांत की कार्यकारिणी का चुनाव करवाने को भी गलत ठहराया। कहा कि पूर्व में शिक्षा निदेशक ने संघ के संविधान के अनुसार निचले स्तर पर चुनाव करवाने के बाद प्रांत के चुनाव करवाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने केवल इस सत्र की सदस्यता लेने वाले शिक्षकों के मताधिकार पर भी सवाल उठाए। कहा कि संविधान के अनुसार संघ के नियमित सदस्य जो हर वर्ष सदस्यता लेंगे, वही वोट दे सकते हैं। माजिला ने इस दौरान शिक्षकों से सदस्यता के नाम पर वसूले गए करीब 16 लाख रुपये का भी हिसाब मांगा।

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इधर, संघ के प्रांतीय अध्यक्ष केके डिमरी ने कहा कि पिछले वर्ष खुद प्रांतीय महामंत्री ने मुझे पत्र भेजकर अपने अधिकारों का प्रयोग कर प्रांतीय कार्यकारिणी भंग करने की अपील की थी और अब वह खुद इसे गलत ठहरा रहे हैं। डिमरी ने कहा कि अध्यक्ष को इसका पूरा अधिकार है एवं इससे संघ की मान्यता पर कोई संकट पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि 17 सितंबर को हल्द्वानी में प्रदेशभर से जुटे शिक्षकों के बीच महामंत्री समेत अन्य शिक्षकों ने प्रांत के चुनाव पहले करवाने पर सहमति दी थी, अब उनका खुद इस बात से पलटने का औचित्य नहीं। कहा कि सदस्यता शुल्क की रिपोर्ट महामंत्री को सौंपने की जिम्मेदारी अध्यक्ष की नहीं, महामंत्री की ही जिम्मेदारी इसका पूरा ब्योरा रखना है।

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