रोजवेज बसों में किसी यात्री का किराया 6500 तो किसी का शून्य दिखाया

रोडवेज बसों में गुरुवार को यात्रियों के संग जमकर विवाद हुए। किसी यात्री का किराया 6500 रुपये दर्शाया तो किसी का शून्य। विवाद के चलते आधा दर्जन से ज्यादा बसें बीच मार्ग से वापस लौट आईं जबकि कुछ में किराये दिए बिना ही यात्रियों ने सफर किया।

By Ritika KumariEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 06:00 AM (IST)
रोजवेज बसों में किसी यात्री का किराया 6500 तो किसी का शून्य दिखाया
रोडवेज बसों में गुरुवार को यात्रियों के संग जमकर विवाद हुए।

जागरण संवाददाता, देहरादून: रोडवेज बसों में गुरुवार को यात्रियों के संग जमकर विवाद हुए। किसी यात्री का किराया 6500 रुपये दर्शाया तो किसी का शून्य। विवाद के चलते आधा दर्जन से ज्यादा बसें बीच मार्ग से वापस लौट आईं, जबकि कुछ में किराये दिए बिना ही यात्रियों ने सफर किया। इससे रोडवेज को लाखों रुपये की चपत लग गई। इसकी वजह अधूरे अपडेट के साथ टिकट मशीनें रूट पर भेजना बताया जा रहा। बसों में किराया बढऩे पर रोडवेज मुख्यालय द्वारा मशीनों में किराया अपडेट कराया जा रहा है लेकिन इसी दौरान सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण कईं टिकट मशीनों का डाटा गड़बड़ा गया। हालात ये हुए कि परिचालकों ने बसें ले जाने से मना कर दिया। 

देहरादून-दिल्ली मार्ग समेत दून-हरिद्वार मार्ग पर नए टोल प्लाजा पर शुल्क लगने से रोडवेज ने हाल में ही में बसों के किराये में दो बार बढ़ोत्तरी की है। हरिद्वार एवं कुमाऊं मार्ग पर बसों में पांच से 15 रुपये तक प्रति यात्री किराये की बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले दो दिन से रोडवेज मुख्यालय टिकट मशीनों में किराया अपडेट कराने का काम कर रहा है लेकिन सर्वर की समस्या के चलते मशीनों में किराया अपडेट होने में दिक्कत आ रही। यही नहीं किराया सॉफ्टवेयर बदले जाने से कईं मशीनों का पूरा डाटा ही गड़बड़ा गया। बुधवार से गुरुवार तक मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी के दर्जनों मामले सामने आए। दून से दिल्ली जा रही एक बस में बुजुर्ग यात्री जनकल्याणकारी योजना के अंतर्गत नारसन तक मुफ्त गए। नारसन से आगे परिचालक ने उनका टिकट बनाना चाहा तो भी किराया शून्य ही दर्शाया। जिस पर बुुजुर्ग ने किराया देने से इन्कार कर दिया। उसका परिचालक से विवाद भी हुआ। इसी तरह देहरादून से चंडीगढ़ जा रही बस में पांवटा से चंडीगढ़ जा रहे एक यात्री का किराया टिकट मशीन ने 6500 रुपये दर्शाया। 

पूरा दिन दिल्ली, सहारनपुर, चंडीगढ़ व हरिद्वार, मुरादाबाद समेत कुमाऊं मार्ग पर इसी तरह के मामले सामने आते रहे। कईं बसों में मशीनें एक यात्री के दो-दो टिकट दर्शाती रहीं। इसके साथ ही दोनों टिकटों में गंतव्य स्थल एक ही दर्शाया, लेकिन किराये में अंतर आता रहा। मसलन, एक टिकट में ऋषिकेश से दिल्ली का जनरथ का किराया 510 रुपये दर्शाया गया। तो दूसरे में किराया 670 रुपये दर्शाया गया। यही नहीं, टिकट दिल्ली का बन रहा, लेकिन गंतव्य स्थल मंडावली दर्शा रहा। अलग-अलग डिपो में गुरुवार को पूरा दिन इस तरह की शिकायतें मिलती रहीं। परिचालकों के टिकट मशीनें नहीं उठाने पर कईं डिपो में कईं बसें तय शेड्यूल से देरी से रवाना हुईं। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि टिकट मशीनों में सॉफ्टवेयर अपडेट करने का काम चल रहा है। जिन मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी आई है, उन्हें वापस मंगाकर अपडेट कराया जा रहा है। 

डिपो एजीएम ने नहीं ली सुध

टिकट मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी के कारण ग्रामीण डिपो की आधा दर्जन बसें बीच मार्ग से लौट आईं। यात्रियों से विवाद की आशंका को देखते हुए परिचालकों द्वारा बसें ले जाने से मना कर दिया गया, लेकिन ग्रामीण डिपो के जिम्मेदार अफसरों ने कोई सुध नहीं ली। स्थिति यह रही कि डिपो के एजीएम बस अड्डे भी नहीं पहुंचे। चालक व परिचालकों ने उन्हें फोन कर सूचना देनी चाही, लेकिन आरोप है कि फोन उठाया ही नहीं गया। 

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कई जगह दी टिकट बुक

टिकट मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी आने पर कईं डिपो में परिचालकों को कागज की टिकट बुक व मार्ग प्रपत्र देकर भेजा गया। ग्रामीण डिपो के एजीएम गैर-मौजूद होने के कारण यहां परिचालकों को टिकट बुक नहीं मिल सकी। 

किराये की तकनीकी गड़बड़ी स्मार्ट सिटी की बसों में भी सामने आई। इनमें एक ही मार्ग के अलग-अलग किराये दर्शाये गए। सिटी बस महासंघ के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल व उनके साथी दर्शनलाल चौक से आइएसबीटी तक गए तो दो यात्रियों का किराया 40 रुपये लिया गया जबकि वापसी में उनसे इसी दूरी का किराया टिकट मशीन ने 30 रुपये लिया। डंडरियाल ने मामले में जांच की मांग की है।

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