चम्पावत के 208 गांवों से 7886 व्यक्तियों का पलायन, कारणों को लेकर आयोग तैयार कर रहा रिपोर्ट

चम्पावत के गांवों से भी पलायन हो रहा मगर अन्य जिलों की अपेक्षा वहां इसकी रफ्तार कम है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की इन दिनों जिले के गांवों से पलायन व इसके कारणों के मद्देनजर तैयार की जा रही सर्वे रिपोर्ट के प्रारंभिक आंकड़ों में यह सामने आया।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:45 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 06:45 AM (IST)
चम्पावत के 208 गांवों से 7886 व्यक्तियों का पलायन, कारणों को लेकर आयोग तैयार कर रहा रिपोर्ट
चम्पावत के 208 गांवों से 7886 व्यक्तियों का पलायन। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। दुग्ध उत्पादन के मामले में धनी चम्पावत जिले के गांवों से भी पलायन हो रहा है, मगर अन्य जिलों की अपेक्षा वहां इसकी रफ्तार कम है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर इन दिनों चम्पावत जिले के गांवों से पलायन व इसके कारणों के मद्देनजर तैयार की जा रही सर्वे रिपोर्ट के प्रारंभिक आंकड़ों में यह बात सामने आई है। वर्ष 2011 से 2018 के बीच इस जिले के 208 गांवों से 7886 व्यक्तियों ने पूर्ण रूप से पलायन किया है, जबकि 304 गांवों से 20332 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से। सूत्रों के मुताबिक इस जिले की रिपोर्ट अगले माह तक पूरी हो पाएगी। इसमें जिले के गांवों की सामाजिक आर्थिक स्थिति की स्थिति भी सामने आएगी।

पलायन आयोग अब तक पौड़ी, अल्मोड़ा, टिहरी, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग जिलों की सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप चुका है। इन रिपोर्ट में संबंधित जिलों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के मद्देनजर कई सुझाव दिए गए, जिन पर सरकार ने अमल करना भी शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में आयोग कोरोनाकाल में चम्पावत जिले की सर्वे रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है। इसके लिए एक दौर का सर्वे हो चुका है, जबकि दूसरे दौर में पंचायत प्रतिनिधियों, ग्रामीणों के साथ ही जिला प्रशासन और ग्राम्य विकास से जुड़े विभागों से राय ली जानी है।

सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक तौर पर यह बात सामने आई है कि चम्पावत जिले के चारों विकासखंडों चम्पावत, बाराकोट, लोहाघाट व पाटी में आबादी की स्थिति ऋणात्मक नहीं है। हालांकि, पलायन यहां से भी हुआ है। पलायन करने वालों में से 50 फीसद व्यक्तियों ने रोजगार, 15 फीसद ने शिक्षा और शेष 35 फीसद व्यक्तियों ने स्वास्थ्य, कृषि में घटता उत्पादन समेत अन्य कारणों से पलायन किया। सूत्रों ने बताया कि जिले के गांवों में पशुपालन की स्थिति बेहतर है। यही वजह है कि यह जिला दूध उत्पादन के मामले में सरप्लस है। इसके साथ ही चाय की खेती को बढ़ावा देने की बेहतर पहल यहां हुई है। खेती के सामने दिक्कतें जरूर हैं, मगर बड़ी तादाद में लोग कृषि से जुड़े हैं। 

कहां से कहां पलायन

सूत्रों के मुताबिक चम्पावत जिले के गांवों से पलायन करने वाले 36 फीसद व्यक्तियों ने अन्य जिलों और 32 फीसद ने राज्य से बाहर की राह पकड़ी। 14 फीसद ने नजदीकी कस्बों और 16 फीसद ने जिला मुख्यालय में पलायन किया। 

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि चम्पावत जिले की सर्वे रिपोर्ट अगले माह तक तैयार होने की उम्मीद है और फिर इसे सरकार को सौंपा जाएगा। रिपोर्ट में पलायन की स्थिति व उसके कारण, जिले की सामाजिक, आर्थिक स्थिति समेत अन्य बिंदुओं को समाहित किया जा रहा है। साथ ही ग्रामीणों से बात की जा रही है कि वे क्या चाहते हैं। इस पहलू को भी शामिल करते हुए सरकार को सुझाव दिए जाएंगे। 

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