खाकी से हो रहा युवाओं का मोहभंग, यहां सात सालों में 55 ने छोड़ी पुलिस की नौकरी; जानिए

जिस खाकी की नौकरी को युवा शान समझता था। अब उसी नौकरी से उनका मोहभंग होता नजर आ रहा है। एक आरटीआइ के जवाब में पता चला है कि वर्ष 2013 से 2019 के बीच 55 पुलिसकर्मियों ने नौकरी को अलविदा कह दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 06:00 AM (IST)
खाकी से हो रहा युवाओं का मोहभंग, यहां सात सालों में 55 ने छोड़ी पुलिस की नौकरी; जानिए
खाकी से हो रहा युवाओं का मोहभं।

देहरादून, जेएनएन। युवा वर्ग जिस खाकी की नौकरी को शान समझता था। अब उसी नौकरी से उनका मोहभंग होता नजर आ रहा है। एक आरटीआइ के जवाब में पता चला है कि वर्ष 2013 से 2019 के बीच 55 पुलिसकर्मियों ने नौकरी को अलविदा कह दिया। अब वह दूसरी नौकरी कर रहे हैं। नौकरी से त्यागपत्र में किसी ने तनाव और काम के बोझ को कारण नहीं बताया है, लेकिन जिन लोगों ने नौकरी छोड़ी उन्होंने इशारों में यह बात जरूर स्वीकार की है। 

सेना के बाद युवाओं का जिस नौकरी के प्रति सबसे अधिक रुझान होता है, वह पुलिस की नौकरी। इसमें देशसेवा के साथ समाज की सेवा करने का मौका मिलने की वजह से युवा इसके लिए जीजान से प्रयास करते हैं। पर हाल के वर्षों में पुलिस की नौकरी छोड़ने वालों की संख्या बढ़ी है। देहरादून के एस बर्थवाल ने उत्तराखंड पुलिस से जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी।

इसमें बताया गया है कि विगत सात वर्ष के दौरान 55 पुलिस कर्मियों ने त्याग पत्र दिया है। अधिकांश ने त्याग पत्र देते समय व्यक्तिगत और पारिवारिक दिक्कतों को वजह बताया है। पर एक बात जो गौर करने वाली है, वह ये कि हाल के वर्षों में पुलिस पर काम का बोझ बढ़ा है। अधिकारी भी मानते हैं कि पुलिस की नौकरी आठ घंटे नही बल्कि 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन की होती है। नौकरी छोड़ने वालों में इंस्पेक्टर रैंक से लेकर सिपाही तक शामिल हैं। 

पुलिस की नौकरी छोड़ नगर निगम में नौकरी कर रहे के शख्स का कहना है कि पुलिस की नौकरी में कई तरह की समस्याएं हैं। 24-24 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती थी। इसके अलावा काम का तनाव तो रहता ही रहता था। साथ ही परिवार की छोटी-बड़ी खुशियों, दुःख-तकलीफों में भी हम साथ नहीं रह पाते थे।

मिलता है एक माह का अतिरिक्त वेतन

पुलिस में अगर काम का बोझ है तो सरकार इसका ख्याल भी रखती है। कम को पता होगा कि पुलिस में न तो साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था है और न ही बड़े त्योहारों पर ही ड्यूटी से फुर्सत मिलती है। अलबत्ता तब उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इन्हीं वजहों से पुलिसकर्मियों को साल में तेरह महीने का वेतन मिलता है। 

डीआइजी अरुण मोहन जोशी कहते हैं, पुलिस की ही नहीं हर नौकरी में थोड़ा बहुत तनाव होता ही है। पुलिसकर्मियों के तनाव को कम करने और उनका मनोबल बनाए रहने की कोशिश लगातार की जा रही है। इसके लिए पुलिस लाइन में वर्कशॉप आयोजित करवाए जाते हैं।

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