उत्तराखंड में जंगल की आग से निबटने को अब उठेंगे ठोस कदम, पढ़िए पूरी खबर
71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों की आग प्रतिवर्ष वन संपदा पर भारी पड़ती है। अब तो जंगल किसी भी मौसम में सुलग जा रहे हैं जो अमूमन फरवरी से मानसून आने तक की अवधि में सुलगते थे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में हर साल मुसीबत का सबब बनने वाली आग से निबटने को अब प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) से अग्नि सुरक्षा उपायों के लिए 30 करोड़ की धनराशि मंजूर की गई है। इस राशि का उपयोग माडल कू्र-स्टेशन, अग्नि सुरक्षा के लिए आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता समेत अन्य संसाधन जुटाने में किया जाएगा।
71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों की आग प्रतिवर्ष वन संपदा पर भारी पड़ती है। अब तो जंगल किसी भी मौसम में सुलग जा रहे हैं, जो अमूमन फरवरी से मानसून आने तक की अवधि में सुलगते थे। पिछले साल अक्टूबर से आग का क्रम शुरू हुआ, जो इस वर्ष मानसून आने तक चलता रहा। इस दौरान वन विभाग की पेशानी पर बल पड़े रहे। आग पर नियंत्रण के लिए सेना के हेलीकाप्टरों की मदद तक लेनी पड़ी थी। इस अवधि में आग की 2813 घटनाओं में 3943 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा। आग से 50 हजार से ज्यादा पेड़ों को क्षति पहुंची तो बड़े पैमाने पर प्लांटेशन में खड़े पौधे राख हो गए।
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हालांकि, जंगल की आग की रोकथाम के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन बदली परिस्थितियों के अनुसार संसाधन जुटाने में बजट की कमी बाधक बनती रही है। इस सबको देखते हुए वन विभाग ने कैंपा की शरण में जाने की ठानी। कैंपा से चालू वित्तीय वर्ष में वनों की अग्नि से सुरक्षा के लिए अच्छी-खासी धनराशि मंजूर की गई है। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी के अनुसार कैंपा से मिले बजट का उपयोग अग्नि सुरक्षा के मद्देनजर संसाधन जुटाने में किया जाएगा। इस संबंध में सभी वन संरक्षकों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं।
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