स्वामी चिदानंद सरस्वती बोले, आपसी सामंजस्य से ही होगी उन्नत समाज की स्थापना

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि वकोरोना वायरस ने पूरे विश्व को समझा दिया कि साझा हितों उद्देश्यों और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति को बनाए रखने के लिए एक साथ आना और मिलकर कार्य करना ही एक समाधान है।

By Edited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 04:14 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 09:07 AM (IST)
स्वामी चिदानंद सरस्वती बोले, आपसी सामंजस्य से ही होगी उन्नत समाज की स्थापना
आपसी सामंजस्य से ही होगी उन्नत समाज की स्थापना।

ऋषिकेश, जेएनएन। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने राष्ट्रीय एकता दिवस (सॉलिडेरिटी डे) पर कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व को एकजुट होने की जरूरत हैं। कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को समझा दिया कि साझा हितों, उद्देश्यों और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति को बनाए रखने के लिए एक साथ आना और मिलकर कार्य करना ही एक समाधान है। 

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व के अधिकांश देश एक वर्ष से अधिक समय से कोरोना महामारी के कारण परेशान है, ऐसे में एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य ही समाधान है। सभी राष्ट्र सार्वभौमिक हितों के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर कार्य करें, यही तो नैसर्गिक नियम भी है। उन्होंने कहा सामाजिक एकजुटता के नैसर्गिक नियम को हमने कुछ हद तक भुला दिया था। कोरोना ने आकर फिर हमें याद दिलाई कि यदि पृथ्वी पर जीवित रहना है तो अपने मूल और मूल्यों से जुड़ें रहना होगा। एक-दूसरे पर निर्भरता और सामंजस्य ही उन्नत समाज की आधारशिला है। 
स्वामी चिदानंद ने कहा कि कोरोना काल में न केवल लोगों ने बल्कि राष्ट्रों ने भी आपसी सहायता और सहयोग की भावनाओं को समझा, जिसके पश्चात कईयों का तो जीवन जीने का ढंग ही बदल गया। उन्होंने कहा कि भारत को तो एकजुटता, सहयोग की भावना और आपस में मिल कर रहना आदि मूल्य विरासत में मिले हैं। भारत में पर्वों और त्योहारों को मनाने की परंपराएं इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। भारत में मनाए जाने वाला हर उत्सव यह एकजुटता का संदेश देता है। एकजुटता की संस्कृति से ही वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवंतु सुखिन: की संस्कृति का जन्म होता है। एक अच्छा जीवन जीने के लिए समुदाय के साथ एकजुट होकर रहना आवश्यक है।
chat bot
आपका साथी