उत्‍तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए मुसीबत बनेंगे 120 डेंजर जोन

पहली जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। लेकिन बारिश के बीच जिस तरह चारों धाम को जोडऩे वाले बदरीनाथ केदारनाथ गंगोत्री व यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नए-नए डेंजर जोन उभर रहे हैं उससे आने वाले दिनों में यात्रियों की मुश्किलें बढऩा तय है।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:45 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:45 AM (IST)
उत्‍तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए मुसीबत बनेंगे 120 डेंजर जोन
पहली जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: पहली जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। लेकिन, बारिश के बीच जिस तरह चारों धाम को जोडऩे वाले बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नए-नए डेंजर जोन उभर रहे हैं, उससे आने वाले दिनों में यात्रियों की मुश्किलें बढऩा तय है। बरसात के शुरुआती चरण में ही इसकी झलक दिखने लगी है। इन हाइवे पर लगभग 120 डेंजर जोन चिह्नित हैं, जिनमें अधिकांश आलवेदर रोड निर्माण के दौरान उभरे हैं। इसके अलावा आलवेदर रोड का मलबा भी बरसात में अनहोनी की वजह बन सकता है। कारण, ज्यादातर स्थानों पर या तो डंपिंग जोन नहीं हैं और हैं तो असुरक्षित स्थानों पर।

चमोली जिले में गौचर से बदरीनाथ तक हाइवे के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। लेकिन, हालिया बारिश के दौरान भूस्खलन व भूधंसाव से हाइवे पर चडुवापीपल, कालेश्वर, लंगासू, बैरास कुंड, बैडाणू, सोनला, हिलेरी प्वाइंट, नदंप्रयाग बगड़, पुरसाड़ी, मैठाणा, बाजपुर, क्षेत्रपाल, छिनका, मायापुर के पास कौडिय़ा , पीपलकोटी, पाखी, गुलाबकोटी, हेलंग, लंगसी, मारवाड़ी, विष्णु प्रयाग, टैयापुल , गोङ्क्षवदघाट, लामबगड़ व रड़ांग बैंड में डेंजर जोन सक्रिय हो गए हैं। हालांकि परथाडीप, मैठाणा, विरही, लामबगड़ व गोङ्क्षवदघाट स्थित डेंजर जोन में स्थायी ट्रीटमेंट के बाद भूस्खलन रुका है। जबकि, पाताल गंगा भूस्खलन जोन में अब ओपन आरसीसी टनल से सुरक्षित आवाजाही हो रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) के महाप्रबंधक (परियोजना) कर्नल संदीप कार्की कहते हैं कि बारिश के दौरान हाइवे पर भूस्खलन व भूधंसाव से हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है। डेंजर जोन के स्थायी ट्रीटमेंट को कार्ययोजना बनाकर अमल में लाई जाएगी।

21 व्यक्तियों की जान ले चुके डेंजर जोन

76 किमी लंबे गौरीकुंड (केदारनाथ) हाइवे भी पर एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन सक्रिय हैं। बारिश होने पर कई जगह पहाड़ी से पत्थर लुढ़कने का सिलसिला भी जारी है। बीते ढाई वर्ष के दौरान इस हाइवे पर मलबे में दबकर 21 व्यक्तियों की जान जा चुकी है, जबकि चार दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त हुए। वर्तमान में हाइवे पर रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग के बीच रामपुर, नारायणकोटी, सिल्ली, सौड़ी, चंद्रापुरी, गबनी गांव, बांसवाड़ा, भीरी, मुनकटिया, बड़ासू, चंडिकाधार, सेमी व डोलिया मंदिर के पास स्लाइडिंग जोन सक्रिय है। बदरीनाथ हाइवे के रुद्रप्रयाग जिले में पडऩे वाले हिस्से में भी नरकोटा व सिरोबगड़ दो स्लाइडिंग जोन हैं। इनमें नरकोटा हाल ही में सक्रिय हुआ है। अधिशासी अभियंता, नेशनल हाइवे गौरीकुंड के जितेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि डेंजर जोन का सर्वे हो चुका है। डीपीआर तैयार हो रही है। इसके बाद ही इनका ट्रीटमेंट होगा।

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गंगोत्री हाइवे से खतरनाक स्थिति यमुनोत्री हाइवे की

गंगोत्री हाइवे पर धरासू बैंड, रतूड़ी सेरा, नेताला, भटवाड़ी, सोन गाड, हेल्गु गाड, सुनगर व डबराणी के पास डेंजर जोन चिह्नित किए गए हैं। इनमें सबसे खतरनाक स्थिति सुनगर के पास है। हालांकि, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इन सभी डेंजर जोन पर मैनपावर व मशीनें तैनात की है। गंगोत्री हाइवे से खतरनाक स्थिति यमुनोत्री हाइवे की है। इस पर धरासू बैंड से हनुमानचट्टी तक 12 डेंजर जोन धरासू, सिलक्यारा, सिलाईबैंड, ओरछा बैंड, खरादी, किसाला, पालीगाड, ओजरी, डाबरकोट, हनुमानचट्टी, असनोल गाड व डंडालगांव सक्रिय हैं। सबसे खतरनाक स्थिति बड़कोट से डाबरकोट के बीच हंै। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि गंगोत्री और यमुनोत्री हाइवे पर चिह्नित डेंजर जोन में कंप्रेसर, लोडर, पोकलैंड, जेसीबी व टिप्पर तैनात कर दिए गए हैं। यात्रा मार्ग बंद होने और यात्रियों के फंसने पर उनके खाने-ठहरने को होटल चिह्नित किए जा रहे हैं।

टिहरी जिले में गंगोत्री व बदरीनाथ हाइवे पर 60 डेंजर जोन

टिहरी जिले में आलवेदर रोड के तहत ऋषिकेश-गंगोत्री व बदरीनाथ हाइवे का निर्माण अंतिम दौर में है। बीते मार्च में टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-गंगोत्री व बदरीनाथ हाइवे के टिहरी जिले वाले हिस्से का सर्वे कराया। इसमें गंगोत्री हाइवे पर 23, बदरीनाथ हाइवे पर 37 डेंजर जोन चिह्नित किए गए। जिलाधिकारी टिहरी इवा आशीष श्रीवास्तव ने निर्माणदायी कंपनियों को जल्द से जल्द इन डेंजर जोन पर सुरक्षा प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, ऋषिकेश-गंगोत्री हाइवे पर चंबा से कांडीखाल के बीच 14 जगह डंप किया जा रहा आलवेदर रोड का मलबा भी बरसात में अनहोनी का सबब बन सकता है।

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