कोरोना से आजादी के लिए जंग लड़ रहे फार्मासिस्ट जोशी

कोरोना की लड़ाई में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर इस महामारी से आजादी दिलाने वालों में सुरेश चंद्र जोशी का योगदान उल्लेखनीय है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Aug 2021 10:16 PM (IST) Updated:Sat, 14 Aug 2021 10:16 PM (IST)
कोरोना से आजादी के लिए जंग लड़ रहे फार्मासिस्ट जोशी
कोरोना से आजादी के लिए जंग लड़ रहे फार्मासिस्ट जोशी

संवाद सहयोगी, चम्पावत : कोरोना की लड़ाई में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर इस महामारी से आजादी दिलाने वालों में फार्मासिस्ट सुरेश चंद्र जोशी का योगदान भी उल्लेखनीय है। स्वास्थ्य उपकेंद्र इड़ाकोट में कार्यरत जोशी ने कोरोना की पहली लहर आने के बाद जनवरी 2020 से विभिन्न राज्यों से आने वाले हजारों प्रवासियों की थर्मल स्क्रीनिंग की। टीका आने के बाद वह लगातार नेपाली सीमा से लगे गांवों के अलावा लोहाघाट नगर क्षेत्र में वैक्सीनेशन के महा अभियान में जुटे हैं।

आठ फरवरी 2021 से फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं का वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद उन्होंने सुई छमनियां स्थित आइटीबीपी के जवानों का वैक्सीनेशन किया। उन्होंने उप जिला चिकित्सालय लोहाघाट में कोरोना किट तैयार करने में भी सहयोग किया। किमतोली, पुल्ला के अलावा भारत नेपाल सीमा पर स्थित दुर्गम क्षेत्रों मडुवा, डुंगराबोरा, सीमा के अंतिम गांव कायल में ग्रामीणों का वैक्सीनेशन भी कर चुके हैं। वैक्सीनेशन के अतिरिक्त मरीजों की काउंसलिंग की एवं उनमें कोराना से जंग लड़ने का जज्बा पैदा किया। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका को देखते हुए इनका नाम मुख्यमंत्री पुरस्कार हेतु जिले की सूची में शामिल किया गया है। जोशी इड़ाकोट, गल्लागांव, डेंसली, कोयाटी, पुल्ला, किमतोली, मड़ुवा, डुंगराबोरा, कायल आदि क्षेत्रों में कोविड ड्यूटी कर चुके हैं। विगत तीन माह से जीआईसी लोहाघाट स्थित वैक्सीनेशन सेंटर में सेवा दे रहे हैं। अगस्त 2021 के पहले सप्ताह में चले विशेष टीकाकरण अभियान में दूरस्थ मडुवा गांव में गर्भवती महिला को पहली कोरोना वैक्सीन लगाई। सुरेश जोशी बार्डर सिक्योरिटी फोर्स में रहकर भी बतौर फार्मासिस्ट उत्कृष्ट सेवा दे चुके हैं। उनके परिवार को भी कोरोना ने नहीं छोड़ा। उनकी माता भी पहली लहर में पॉजिटिव आई। जिसके बाद उन्होंने दृढ़ता और हिम्मत के साथ उनका इलाज कराया। कोरोना महामारी की लड़ाई में उनके योगदान को देखते हुए सीएमओ समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उन्हें शाबाशी दे चुके हैं।

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