नान बैंकिंग फाइनेंस अभियोग के वांछितों की जल्द हो गिरफ्तारी

चम्पावत जिले के एसपी लोकेश्वर सिंह ने चार जनपदों के पुलिस कर्मियों की बैठक में नान बैंकिग फाइनेंस से संबधित अभियोंग के वांछितों की जल्द गिरफतारी के आदेश दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 10:19 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 10:19 PM (IST)
नान बैंकिंग फाइनेंस अभियोग के वांछितों की जल्द हो गिरफ्तारी
नान बैंकिंग फाइनेंस अभियोग के वांछितों की जल्द हो गिरफ्तारी

संवाद सहयोगी, चम्पावत : पुलिस महानिरीक्षक अजय रौतेला द्वारा नॉन बैकिंग फाइनेंस कंपनी से संबंधित अभियोगों की विवेचनाओं में तेजी लाने के निर्देश पर चम्पावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में वांछितों की गिरफ्तारी के लिए दो टीमों का गठन किया गया है। चम्पावत जिले के एसपी लोकेश्वर सिंह को दोनों टीमों का पर्यवेक्षण अधिकारी बनाया गया है। शुक्रवार को पर्यवेक्षण अधिकारी ने चारों जनपदों के पुलिस अधिकारियों के साथ इस संबंध में समीक्षा बैठक की।

पर्यवेक्षण अधिकारी लोकेश्वर सिंह ने बताया कि चम्पावत, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर जिलों में नान बैकिंग फाइनेंस से सम्बंधित 21 अभियोग पंजीकृत हैं, जिनमें अल्मोड़ा में चार, पिथौरागढ़ में छह, बागेश्वर में आठ एवं चम्पावत में तीन केस हैं। उन्होंने बताया पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर शुक्रवार को चम्पावत में नॉन बैकिंग फाइनेंस से सम्बन्धित पंजीकृत अभियोंगो के विवेचकों के साथ विस्तृत समीक्षा की गई। पर्यवेक्षण अधिकारी ने सभी विवेचकों को नान बैकिंग फाइनेंस से संबंधित संबंधित अभियोगों में वाछितों के विरुद्ध ठोस साक्ष्य एकत्र कर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए निर्देशित किया गया।

बैठक में अल्मोड़ा के उप निरीक्षक भूपेन्द्र सिंह बृजवाल एवं चन्द्र सिंह, बागेश्वर के उपनिरीक्षक पंकज जोशी, कृष्ण गिरि, कैलाश सिंह, महिला उपनिरीक्षक खष्टी बिष्ट, पिथौरागढ़ के उपनिरीक्षक हीरा सिंह एवं सुशील जोशी, चम्पावत के उपनिरीक्षक दिवान सिंह जलाल, लोहाघाट के मनीष खत्री, एवं पुलिस अधीक्षक कार्यालय चम्पावत के उमराव सिंह आदि मौजूद रहे।

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क्या होती है नान बैकिंग फाइनेंस कंपनी

चम्पावत : नान बैकिंग फाइनेंस कंपनी किसी जमा योजना में लोगों का पैसा जमा करने का काम करती है और उन्हें कई तरह के ऋण प्रदान करती है। यह वित्तीय संस्था होती है, जो बैंक की तरह काम तो करती है, लेकिन यह किसी बैंक की तरह नहीं होती। यह कंपनी पहले किसी योजना के तहत जमाकर्ता से पैसे जमा करवाती है इसके बाद जमाकर्ता को ऋण के रूप में मुनाफे का कुछ हिस्सा प्रदान करती है। इस दौरान कुछ कंपनियां विभिन्न माध्यमों से लोगों का पैसा गबन कर भी फरार हो जाती हैं।

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