खुद ड्यूटी में मुस्तैद रह डाक्टर बेटों को प्रेरणा दे रहीं लीला बिष्ट

लीला बिष्ट खुद ड्यूटी में मुस्तैद रह डाक्टर बेटों को प्रेरणा दे रहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:30 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:30 PM (IST)
खुद ड्यूटी में मुस्तैद रह डाक्टर बेटों को प्रेरणा दे रहीं लीला बिष्ट
खुद ड्यूटी में मुस्तैद रह डाक्टर बेटों को प्रेरणा दे रहीं लीला बिष्ट

चम्पावत, विनय कुमार शर्मा : माता अपने बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देती है। गर्भ धारण से लेकर जीवन की अंतिम सांस तक बच्चों के लिए समर्पित माताओं की फेहरिश्त में लीला बिष्ट का नाम भी है। जो खुद में ड्यूटी में मुस्तैद रहकर डाक्टर बेंटों के साथ कोरोना महामारी में लोगों की सेवा करने में जुटी हुई है। मां अपने बेटों जैसा अन्य बच्चों का भविष्य संवारनों में जुटी है तो बेटे मां की प्रेरणा पाकर मरीजों का उपचार कर उनकी सेवा कर रहे हैं।

चम्पावत के गोरलचोड़ रोड निवासी 52 वर्षीय लीला बिष्ट वर्तमान में खटीमा के इंटर कॉलेज सैजान में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। उनके दो पुत्र डा. मनीष बिष्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिप्टी और डा. अंकुर बिष्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंच में तैनात हैं। दोनों कोरोना काल में मरीजों के उपचार और उनकी देखभाल कर रहे हैं। पति उमेद सिंह बिष्ट राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रमैला में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात है। वैश्विक कोरोना महामारी की इस विषम परिस्थिति में माता लीला बिष्ट न केवल उनका हौसला बढ़ा रही हैं बल्कि उन्हें संकट काल में उत्कृष्ट ड्यूटी का पाठ भी पढ़ा रही हैं। लीला बिष्ट ने बताया कि कोरोना गंभीर महामारी है। उन्हें अपने बच्चों के स्वास्थ्य की उतनी ही चिंता है, जितनी एक सामान्य मां को। मां की सलाह को उनके दोनों पुत्र गंभीरता से लेते हैं। डा. मनीष और डा. अंकुर ने बताया कि वे अपनी माता के साथ पिता के भी ऋणी हैं। दोनों ने सरकारी ड्यूटी के बाद भी उन्हें आगे बढ़ने का पूरा अवसर प्रदान किया। माता के प्यार और दुलार को वे कभी नहीं भूल पाएंगे। बताया कि उनकी मां ने उन्हें एक गुरु की तरह भी उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई। आज भी मां का उतना ही स्नेह उन्हें मिलता है जितना बचपन में मिलता था। बताया कि मातृ दिवस के दिन वे ड्यूटी से समय निकाल कर अपनी माता के चरण स्पर्श करना जरूर चाहेंगे। लीला व उनके पति उमेद बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने का काम कर रहे हैं। लीला का परिवार मूल रूप से पिथौरागढ़ जनपद के मूनाकोट का रहने वाला हैं, लेकिन नौकरी के दौरान उन्होंने चम्पावत जिले में ही घर बसा लिया है। लीला बिष्ट ने बताया कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से ही वे अपने परिवार के साथ लंबे वक्त तक नहीं रह पाई हैं। अक्सर फोन से ही उनसे संपर्क होता है। इधर अपनी मां के साथ घंटों बैठकर उनके सानिध्य में न रह पाने का मलाल उनके बेटों को है, लेकिन उन्हें उम्मीद हैं कि कोरोना महामारी के खात्मे के बाद फिर से पूरा परिवार एक साथ बैठकर अपनी यादें व अनुभव ताजा करेगा। ========== 40 हजार से अधिक लोगों की कर चुके हैं सैंपलिंग

चम्पावत : लीला के बड़े पुत्र डा. मनीष असली कोरोना हीरो हैं। जो विगत डेढ़ वर्ष में 40 हजार से अधिक लोगों की सैंपलिंग कर चुके हैं। महामारी के शुरूआत से ही गांव-गांव जाकर प्रवासियों की सैंपलिंग की और उन्हें क्वारंटाइन कर संक्रमण को फैलने से रोका। मरीजों की समस्याओं का समाधान किया। इसक कार्य के लिए कई संस्थाएं व अधिकारी सम्मानित कर चुके हैं।

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