चम्पावत में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी रेनू ने बच्चों को सिखा रही कराटे के गुर

चम्पावत में नेशनल कराटे एकेडमी इंडिया की कोच एवं राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी रेनू बोरा अपने गांव बोराबुंगा में बच्चों को कराटे सिखा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 10:31 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 10:31 PM (IST)
चम्पावत में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी रेनू ने बच्चों को सिखा रही कराटे के गुर
चम्पावत में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी रेनू ने बच्चों को सिखा रही कराटे के गुर

संवाद सहयोगी, चम्पावत : नेशनल कराटे एकेडमी इंडिया की कोच एवं राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी रेनू बोरा अपने गांव बोराबुंगा में बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए कराटे का निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज में एमए की छात्रा रेनू 60वें तथा 61वें राष्ट्रीय स्कूली खेलों में स्वर्ण एवं कांस्य पदक जीतकर चम्पावत जनपद समेत राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर रोशन कर चुकी हैं।

रेनू ने बताया कि कोरोना के कारण पिछले वर्ष से सभी खेल गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं। स्कूल बंद होने के कारण बच्चों के भविष्य एवं उनकी मानसिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों में सकारात्मक उर्जा भरने और उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए वह दो माह से अपने गांव लोहाघाट विकास खंड के दिगालीचौड़ क्षेत्र के बोराबुंगा और आसपास के गांवों के तीन दर्जन से अधिक बच्चों को कराटे के गुर सिखा रही हैं। रेनू बोरा वर्तमान में हल्द्वानी में अपनी मा नीलावती देवी के साथ किराए में रहती हैं, और वहां के युवाओं को बतौर कोच कराटे का प्रशिक्षण देती हैं। कराटे खिलाड़ी से लेकर कोच बनने तक उनका सफर काफी संघर्षो से भरा रहा। उनके स्व. पिता जोत सिंह ने बेटी के हुनर को पहचानते हुए उन्हें मार्शल आर्ट के लिए प्रोत्साहित किया। इस बीच रेनू ने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। 59वें राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। 60 वें राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में उन्होंने कास्य पदक जीतकर पिता की उम्मीदों को पंख लगा दिए। दुर्भाग्य से वर्ष 2017 में पिता जोत सिंह का आकस्मिक निधन हो गया। इस घटना ने रेनू को अंदर से झकझोर कर रख दिया। नतीजा ये रहा कि अगले एक साल तक रेनू ने खेल से ही दूरी बना ली। पारिवारिक स्थिति खराब होने पर वह अपनी मा के साथ हल्द्वानी आकर रहने लगी। बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मा लगातार संघर्ष करती रही। पोस्टमैन पिता की मौत के बाद रेनू ने अपने पांवों में खड़े होने का संकल्प लिया और रुद्रपुर की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर मा का हाथ बंटाने लगी। वर्तमान में रेनू नेशनल कराटे एकेडमी इंडिया की कोच हैं। रेनू ने बीए की पढ़ाई जीजीआइसी लोहाघाट से की। वह कराटे का प्रशिक्षण देने के साथ ही एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी से एमए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। रेनू ने बताया कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में एशियाई कराटे कोच सतीश जोशी, कोच प्रेजा, नीलेश, यशपाल भट्ट, हरिशंकर गहतोड़ी व बृजेश ढेक का अहम योगदान है। उनका सपना अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन करने का है।

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